GST on Insurance Policy : क्या सच में हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस से हटने वाला है GST? जानिए इस खबर की पूरी सच्चाई
News India Live, Digital Desk: GST on Insurance Policy : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और बढ़ती बीमारियों को देखते हुए हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस लेना विलासिता नहीं, बल्कि एक ज़रूरत बन गया है. लेकिन जब हम पॉलिसी का प्रीमियम भरते हैं, तो उस पर लगने वाला 18% GST (वस्तु एवं सेवा कर) हमारी जेब पर काफी भारी पड़ता है. अब सोचिए, अगर यह GST हटा दिया जाए तो क्या होगा? हाल ही में, इसी से जुड़ी एक खबर ने लाखों पॉलिसीधारकों के मन में उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है.
खबर यह है कि इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने सरकार से हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर से GST पूरी तरह से हटाने की सिफारिश की है. अगर सरकार इस सिफारिश को मान लेती है, तो यह हम सब के लिए एक बहुत बड़ी राहत होगी.
क्या है पूरा मामला और क्यों उठी यह मांग?
दरअसल, IRDAI का लक्ष्य है कि 2047 तक भारत में हर किसी के पास इंश्योरेंस कवर हो. लेकिन प्रीमियम पर लगने वाला भारी-भरकम 18% GST इस रास्ते में एक बड़ा रोड़ा है. ज़्यादातर लोग या तो इंश्योरेंस खरीदने से कतराते हैं या फिर कम कवर वाली पॉलिसी से काम चलाते हैं. IRDAI के चेयरमैन देबाशीष पांडा का मानना है कि इंश्योरेंस एक तरह की सामाजिक सुरक्षा है, न कि कोई लग्ज़री आइटम. इसलिए, इस पर GST नहीं लगना चाहिए.
अगर GST हटा तो आपको कितना फायदा होगा?
इसे एक आसान उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आप एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए सालाना 20,000 रुपये का प्रीमियम भरते हैं. इस 20,000 रुपये पर आपको 18% GST, यानी 3,600 रुपये अलग से देने पड़ते हैं. इस तरह आपकी जेब से कुल 23,600 रुपये जाते हैं.
अगर सरकार IRDAI की सिफारिश मान लेती है और GST को पूरी तरह हटा देती है, तो आपको सीधे-सीधे 3,600 रुपये की बचत होगी. यानी जो पॉलिसी आपको 23,600 रुपये में पड़ रही थी, वो अब सिर्फ 20,000 रुपये में मिलेगी. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर भी यही नियम लागू होगा, जिससे आपकी बचत और भी बढ़ सकती है.
अभी क्या स्थिति है?
यहां यह समझना ज़रूरी है कि अभी यह सिर्फ एक सिफारिश है. IRDAI ने अपनी मांग वित्त मंत्रालय के सामने रखी है. अब आखिरी फैसला सरकार और GST काउंसिल को लेना है. लेकिन जिस तरह से देश में इंश्योरेंस की पहुंच बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है, उसे देखते हुए इस सिफारिश पर गंभीरता से विचार किए जाने की पूरी उम्मीद है.
अगर यह फैसला लागू होता है, तो न सिर्फ मौजूदा पॉलिसीधारकों का बोझ कम होगा, बल्कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इंश्योरेंस खरीदने के लिए प्रोत्साहित भी होंगे.
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