दुकानदारों के लिए बड़ी खुशखबरी अब स्वाइप मशीन का झंझट खत्‍म iPhone ही बन गया पेमेंट लेने का हथियार

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News India Live, Digital Desk : आप किसी दुकान पर सामान लेने गए हैं, दुकानदार के पास कोई बड़ी सी कार्ड मशीन (Card Machine) नहीं है, बल्कि वो अपनी जेब से अपना आईफोन (iPhone) निकालता है, आपके कार्ड को उस पर टच करता है और पेमेंट हो जाती है। जी हाँ, यह कोई जासूसी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि एपल का नया कारनामा है।

Apple ने एक कमाल का फीचर 'टैप टू पे' (Tap to Pay) हांगकांग में लॉन्च कर दिया है, जो पेमेंट की दुनिया बदलने वाला है। चलिए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि ये नई टेक्नोलॉजी क्या है और इसका छोटे दुकानदारों को क्या फायदा होगा।

अब iPhone ही बन गया 'चलती-फिरती' बैंक मशीन

अब तक अगर किसी दुकानदार को कार्ड से पेमेंट लेनी होती थी, तो उसे बैंक से वो काली या नीले रंग की भारी-भरकम 'POS मशीन' या कार्ड रीडर मंगवाना पड़ता था। उसका किराया भी देना पड़ता था और उसे चार्ज करने का अलग सिरदर्द।
लेकिन एपल के इस नए 'Tap to Pay on iPhone' फीचर ने खेल बदल दिया है।

  • कैसे काम करता है?: अब दुकानदार के पास सिर्फ एक iPhone होना चाहिए (जिसमें लेटेस्ट iOS हो)।
  • प्रक्रिया: जब आप सामान खरीदेंगे, तो दुकानदार अपने iPhone में पेमेंट अमाउंट डालेगा। आपको बस अपना क्रेडिट/डेबिट कार्ड या अपना मोबाइल (Apple Pay वाला) दुकानदार के iPhone के ऊपर टच करना होगा (Tap करना होगा)।
  • टेक्नोलॉजी: यह NFC टेक्नोलॉजी की मदद से, बिना किसी तार या मशीन के, सुरक्षित तरीके से पैसा ट्रांसफर कर देता है।

छोटे व्यापारियों के लिए वरदान

हांगकांग में शुरू हुई इस सर्विस से वहां के छोटे कैफ़े, टैक्सियों और छोटे स्टोर वालों की मौज हो गई है।

  1. पैसों की बचत: अब उन्हें कार्ड स्वाइप मशीन खरीदने या किराए पर लेने का खर्चा नहीं करना पड़ेगा।
  2. आसानी: कहीं भी, कभी भी पेमेंट ले सकते हैं। मेलों में या होम-डिलीवरी के वक्त भी भारी मशीन ले जाने की ज़रूरत नहीं।

क्या भारत में भी आएगा ये सिस्टम?

अभी यह सर्विस अमेरिका, यूके, जापान जैसे देशों और अब हांगकांग में शुरू हुई है। भारत में जहां UPI का बोलबाला है, वहां भी Apple इसे लाने की तैयारी कर सकता है। अगर यह भारत आता है, तो 'पेटीएम साउंडबॉक्स' के बाद यह दुकानदारों के लिए अगली बड़ी क्रांति हो सकती है। फिलहाल, हांगकांग के यूज़र्स अब अपनी जेब में ही अपना 'पेमेंट काउंटर' लेकर घूम रहे हैं।

Apple का यह कदम बताता है कि आने वाले समय में प्लास्टिक के कार्ड शायद रहेंगे, लेकिन उन्हें घिसने वाली मशीनें शायद म्यूज़ियम में चली जाएं!

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