First Nepal, Now London : आखिर क्यों लाखों अंग्रेज अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं?
News India Live, Digital Desk: First Nepal, Now London : ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया भर में लोग अपनी सरकारों के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं. कुछ दिनों पहले नेपाल में राजशाही की वापसी के लिए लाखों लोग इकट्ठा हुए, और अब ब्रिटेन की राजधानी लंदन की सड़कें भी नारों से गूंज उठी हैं. शनिवार को यहां लाखों की संख्या में लोगों ने एक विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसे हाल के समय में ब्रिटेन का सबसे बड़ा दक्षिणपंथी जमावड़ा माना जा रहा है.
आखिर गुस्सा किस बात का है?
लंदन की सड़कों पर उतरी इस भीड़ का गुस्सा मुख्य रूप से देश की नई सरकार की नीतियों को लेकर है. इन प्रदर्शनों को आयोजित करने वाले दक्षिणपंथी समूहों का कहना है कि सरकार देश की संस्कृति और पहचान को कमजोर कर रही है. उनकी मुख्य मांगें कुछ इस तरह हैं:
- अवैध प्रवासन पर रोक: प्रदर्शनकारियों की सबसे बड़ी मांग देश में बाहर से आने वाले लोगों, खासकर अवैध प्रवासियों पर सख्त लगाम लगाने की है. उनका मानना है कि बढ़ते प्रवासन की वजह से देश के संसाधनों पर बोझ पड़ रहा है और स्थानीय लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं.
- 'वोक कल्चर' का विरोध: 'वोक' यानी समाज के कुछ खास मुद्दों पर बहुत ज्यादा जागरुकता दिखाने की संस्कृति का ये लोग विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस कल्चर की वजह से देश के पारंपरिक मूल्य खत्म हो रहे हैं.
- सख्त कानून की मांग: ये लोग देश में सख्त और राष्ट्रवादी नीतियों को लागू करने की मांग कर रहे हैं ताकि ब्रिटेन की पहचान बनी रहे.
कौन हैं इस प्रदर्शन के पीछे?
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व 'रिफॉर्म यूके' पार्टी के मानद अध्यक्ष नाइजल फराज जैसे बड़े दक्षिणपंथी नेता कर रहे हैं. फराज ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने (ब्रेग्जिट) के सबसे बड़े चेहरों में से एक रहे हैं. उनका कहना है कि यह लड़ाई देश की आत्मा को बचाने के लिए है.
यह प्रदर्शन नई लेबर पार्टी की सरकार, जिसके मुखिया प्रधानमंत्री केइर स्टार्मर हैं, के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. सरकार बनने के कुछ ही महीनों के भीतर इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन दिखाता है कि देश में नीतियों को लेकर एक बड़ा वर्ग नाराज है.
लंदन में हुआ यह विशाल प्रदर्शन सिर्फ ब्रिटेन की राजनीति का मामला नहीं है. यह पूरे यूरोप में बदल रही राजनीति की एक झलक है, जहां दक्षिणपंथी विचारधारा तेजी से अपनी जगह बना रही है. लोग अब अपनी पहचान, संस्कृति और सीमाओं को लेकर ज्यादा मुखर हो रहे हैं. देखना होगा कि लंदन की सड़कों से उठी यह आवाज आने वाले समय में ब्रिटेन और यूरोप की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है.
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