दिल्ली ब्लास्ट का पढ़े-लिखे आतंकियों से कनेक्शन? खुफिया एजेंसियों के रडार पर आया डॉक्टरों का टेलीग्राम चैनल

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News India Live, Digital Desk : दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम धमाके की जांच में एक ऐसा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है. जांच की सुई अब एक टेलीग्राम चैनल की तरफ घूम गई है, जिसे 'रेडिकल डॉक्टर्स ग्रुप' नाम का एक संगठन चलाता है. जी हां, आपने सही पढ़ा - डॉक्टर्स का ग्रुप. यह खुलासा इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि इस हमले के पीछे कोई आम आतंकी नहीं, बल्कि समाज में घुल-मिलकर रहने वाले 'सफेदपोश' और पढ़े-लिखे लोग हो सकते हैं.

कौन हैं ये 'रेडिकल डॉक्टर्स'?

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यह कोई नया ग्रुप नहीं है. एजेंसियां काफी समय से इस पर नजर बनाए हुए थीं. इस ग्रुप में भारत और विदेशों में रहने वाले कई पढ़े-लिखे लोग, खासकर डॉक्टर, शामिल बताए जाते हैं. इनका मुख्य काम है टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं को ऑनलाइन भड़काना और उन्हें कट्टरपंथ के रास्ते पर ले जाना.

कैसे करते हैं ये काम?

यह ग्रुप बेहद शातिर तरीके से काम करता हैं ये लोग सीधे तौर पर कोई आतंकी गतिविधि नहीं करते, बल्कि युवाओं को धर्म और जिहाद के नाम पर उकसाते हैं. इनका मकसद ऐसे युवाओं को तैयार करना है जो अकेले ही (लोन वुल्फ अटैक) किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दे सकें.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अब इस टेलीग्राम चैनल की गहराई से जांच कर रही है. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही ਹੈ ਕਿ इस चैनल को कौन चला रहा हैं इसके एडमिन कौन-कौन हैं.

क्या यह धमाका सिर्फ एक 'ट्रायल' था?

एजेंसियों को यह भी शक है कि यह कार बम धमाका शायद एक 'ट्रायल रन' या 'रिहर्सल' हो सकता हैं आतंकी यह देखना चाहते थे कि दिल्ली जैसे हाई-सिक्योरिटी जोन में धमाका करने के बाद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का रिस्पॉन्स टाइम कैसा रहता है, वे किस तरह से जांच करते हैं और उनकी क्या कमजोरियां हैं. इस ट्रायल के आधार पर वे भविष्य में किसी और भी बड़े हमले की साजिश रच सकते हैं.

यह मामला इसलिए भी बेहद गंभीर हैं.क्योंकि जब पढ़े-लिखे और सम्मानित पेशे से जुड़े लोग आतंक का रास्ता अपनाते हैं, तो उन्हें पहचानना और पकड़ना बहुत मुश्किल हो जाता हैं. वे आसानी से समाज का हिस्सा बनकर रहते हैं और अंदर ही अंदर देश के खिलाफ साजिश रचते रहते हैं.

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