Conscious Eating : जिम और डाइटिंग को कहें अलविदा, बस खाना ऐसे खाएं और देखें कमाल

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News India Live, Digital Desk : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम खाना अक्सर जल्दी में खाते हैं - कभी टीवी देखते हुए, कभी मोबाइल चलाते हुए, तो कभी ऑफिस का काम करते हुए। हम यह सोचते ही नहीं कि हम क्या खा रहे हैं, क्यों खा रहे हैं और कितना खा रहे हैं। नतीजा? मोटापा, अपच, तनाव और न जाने कितनी बीमारियां।

लेकिन क्या हो अगर हम आपसे कहें कि बिना किसी सख्त डाइटिंग या जिम में घंटों पसीना बहाए, आप सिर्फ अपने खाने का तरीका बदलकर स्वस्थ रह सकते हैं? जी हां, यह मुमकिन है 'माइंडफुल ईटिंग' के साथ। यह कोई रॉकेट साइंस नहीं, बल्कि भोजन के साथ दोबारा रिश्ता जोड़ने की एक प्राचीन और असरदार कला है।

आखिर यह 'माइंडफुल ईटिंग' है क्या?

'माइंडफुल ईटिंग' का सीधा सा मतलब है - ध्यान लगाकर, पूरी जागरूकता और चेतना के साथ भोजन करना। यह एक तरह का ध्यान है, जिसमें आप सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं, बल्कि शरीर और मन दोनों को पोषण देने के लिए खाते हैं। इसमें आप अपने भोजन के रंग, उसकी खुशबू, उसके स्वाद और बनावट पर पूरा ध्यान देते हैं। आप अपने शरीर के संकेतों को सुनते हैं - कि आपको सच में भूख लगी है या आप सिर्फ तनाव या बोरियत की वजह से खा रहे हैं।

यह बौद्ध दर्शन की 'माइंडफुलनेस' प्रैक्टिस पर आधारित है, जो हमें हर पल को जागरूकता के साथ जीने की कला सिखाती है।

माइंडफुल ईटिंग के हैरान करने वाले फायदे

  1. वजन कंट्रोल करने में मददगार: जब आप ध्यान से खाते हैं, तो आपका दिमाग यह जल्दी समझ पाता है कि पेट भर गया है। इससे आप ओवरईटिंग से बचते हैं, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
  2. पाचन क्रिया होती है बेहतर: धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर खाने से पाचन तंत्र पर जोर कम पड़ता है और खाना आसानी से पचता है। इससे गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याएं दूर होती हैं।
  3. तनाव होता है कम: जब आप सिर्फ खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आपका दिमाग शांत होता है और तनाव का स्तर अपने आप कम होने लगता है।
  4. खाने का मिलता है पूरा आनंद: जब आप हर निवाले के स्वाद और खुशबू को महसूस करते हैं, तो आपको खाने से एक अलग तरह की संतुष्टि मिलती है। इससे जंक फूड खाने की इच्छा भी कम होती है।
  5. शरीर को बेहतर समझते हैं: यह आपको अपने शरीर के संकेतों को बेहतर ढंग से पहचानने में मदद करता है। आप समझने लगते हैं कि आपको कब सच में भूख लगी है और कब प्यास।

कैसे बनें एक 'माइंडफुल ईटर'? माइंडफुल ईटिंग की सरल शुरुआत

माइंडफुल ईटिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बहुत आसान है। इन छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करें:

  • भूख को पहचानें: कुछ भी खाने से पहले एक पल रुकें और खुद से पूछें, "क्या मुझे सच में भूख लगी है?"
  • ** distractions को कहें 'ना':** खाते समय टीवी, मोबाइल और लैपटॉप बंद कर दें। अपना पूरा ध्यान सिर्फ अपनी प्लेट पर रखें।
  • धीरे-धीरे और चबाकर खाएं: हर निवाले को कम से कम 20-30 बार चबाएं। धीरे-धीरे खाने से आपके दिमाग को पेट भरने का संकेत समय पर मिलता है।
  • अपनी पांचों इंद्रियों का प्रयोग करें: अपने भोजन को देखें, उसकी सुगंध लें, उसके स्वाद और बनावट को महसूस करें।
  • छोटी प्लेट का इस्तेमाल करें: छोटी प्लेट में खाने से आप अपने आप कम खाते हैं और संतुष्ट भी महसूस करते हैं।
  • आभार व्यक्त करें: मन में उस भोजन के लिए धन्यवाद दें जो आपकी प्लेट में है। यह भोजन के प्रति आपके रिश्ते को और सकारात्मक बनाएगा।

माइंडफुल ईटिंग कोई डाइट नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है। इसे अपनाकर आप न सिर्फ अपने शरीर को, बल्कि अपने मन को भी स्वस्थ और शांत रख सकते हैं।

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