Childhood Obesity : आपके बच्चे की स्क्रीन टाइम कर रही है उसे बीमार ,नींद की कमी और मोटापे का सीधा कनेक्शन

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News India Live, Digital Desk: Childhood Obesity : आजकल के ज़माने में, जब हर हाथ में मोबाइल और हर घर में इंटरनेट है, तो हमें अपने बच्चों की सेहत को लेकर थोड़ा ज़्यादा सतर्क रहना पड़ता है. हमने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हमारे स्मार्टफ़ोन, टैबलेट और लैपटॉप जैसी चीज़ें जो सीखने और मनोरंजन के लिए बनी थीं, वही हमारे बच्चों के मोटापे का कारण बन सकती हैं. यह कोई डराने वाली बात नहीं, बल्कि एक हकीकत है जिसे समझना और सुलझाना ज़रूरी है.

आपके बच्चे का डिजिटल दोस्ती, सेहत का दुश्मन तो नहीं? बचपन के मोटापे का नया विलेन!

हम अक्सर देखते हैं कि बच्चे खाते-पीते या सोते समय भी गैजेट्स से चिपके रहते हैं. घंटों स्क्रीन के सामने बैठना उनकी ज़िंदगी का एक आम हिस्सा बन गया है. और अफ़सोस की बात ये है कि यह छोटी सी आदतें उनके बढ़ते शरीर पर एक बड़ा बुरा असर डाल रही हैं, उन्हें मोटापे की तरफ धकेल रही हैं.

तो चलिए, समझते हैं कि कैसे हमारी डिजिटल आदतें बच्चों के बचपन को और उनके शरीर को धीरे-धीरे बिगाड़ रही हैं:

  1. कम फिजिकल एक्टिविटी (शरीर की मेहनत): सोचिए, जब आप छोटे थे तो गलियों में खेलते थे, पार्कों में दौड़ते थे. पर आज के बच्चे अपना ज़्यादातर समय गेम खेलते हुए या वीडियो देखते हुए बिताते हैं. खेल-कूद से दूरी यानी शरीर की कैलोरीज़ नहीं जलना, और धीरे-धीरे शरीर का वज़न बढ़ना.
  2. लापरवाही से खाना (Mindless Eating): स्क्रीन पर कुछ देखते हुए खाना खाने की आदत. इसमें बच्चे यह नहीं समझ पाते कि वे कितना खा रहे हैं या उन्हें अब भूख नहीं है. आमतौर पर, ऐसे में बच्चे जंक फूड या मीठा खाते रहते हैं, क्योंकि उनका ध्यान खाने से ज़्यादा स्क्रीन पर होता है. यही 'बेध्यान' होकर खाना बाद में वज़न बढ़ाता है.
  3. नींद में कमी या खराब नींद (Poor Sleep): रात देर तक फ़ोन चलाना या टीवी देखना बच्चों की नींद खराब करता है. नीली रोशनी (ब्लू लाइट) आँखों पर पड़ती है, जिससे शरीर में 'मेलाटोनिन' नामक हार्मोन कम बनता है, जो अच्छी नींद के लिए ज़रूरी है. कम नींद या खराब नींद बच्चों के हॉर्मोन्स को बिगाड़ देती है, जिससे उन्हें ज़्यादा भूख लगती है और शरीर में फैट जमा होने लगता है.
  4. प्रचार का असर (Influence of Ads): बच्चे टीवी, YouTube और सोशल मीडिया पर कई सारे अनहेल्दी फूड (जैसे बर्गर, पिज़्ज़ा, चिप्स और चॉकलेट) के विज्ञापन देखते हैं. इन विज्ञापनों का उन पर गहरा असर पड़ता है और वे ऐसे ही खाने की ज़िद करने लगते हैं, जो उनके सेहत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं होता.

हमारा मकसद बच्चों को गैजेट्स से पूरी तरह दूर रखना नहीं है, बल्कि उन्हें उनका सही इस्तेमाल सिखाना है. उनके लिए समय निर्धारित करें, उन्हें खेलने-कूदने के लिए प्रोत्साहित करें, और नींद के महत्व के बारे में समझाएँ. आपकी थोड़ी सी समझदारी और उनका सहयोग उनके भविष्य को स्वस्थ बना सकता है.

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