Changing lifestyle and Pollution: जानिए धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते खतरे का सच
- by Archana
- 2025-08-01 13:21:00
News India Live, Digital Desk: Changing lifestyle and Pollution: फेफड़ों का कैंसर लंबे समय से मुख्य रूप से धूम्रपान से जुड़ी बीमारी मानी जाती रही है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत में एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखी जा रही है। अब यह बीमारी उन लोगों में भी तेजी से बढ़ रही है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। डॉक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार, धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे कई पर्यावरणीय और जीवनशैली से जुड़े कारक जिम्मेदार हैं।
वायु प्रदूषण
बढ़ता वायु प्रदूषण, विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5), फेफड़ों के कैंसर के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक के रूप में उभरा है। वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन से निकलने वाले हानिकारक रसायन और प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
रेडॉन गैस का संपर्क
रेडॉन एक प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली रेडियोधर्मी गैस है जो मिट्टी और चट्टानों से निकलती है। यह गंधहीन और रंगहीन गैस इमारतों में जमा हो सकती है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण है।
सेकेंड हैंड स्मोक (निष्क्रिय धूम्रपान)
भले ही आप खुद धूम्रपान न करते हों, लेकिन किसी और के धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आना भी उतना ही खतरनाक है। इस धुएं में वही हानिकारक रसायन होते हैं जो सीधे धूम्रपान करने से शरीर में जाते हैं।
कार्यस्थल पर हानिकारक पदार्थों का संपर्क
कुछ व्यवसायों में, जैसे कि निर्माण, खनन और रासायनिक उद्योगों में काम करने वाले लोगों को एस्बेस्टस, आर्सेनिक और डीजल के धुएं जैसे कार्सिनोजेनिक पदार्थों के संपर्क में आने का खतरा अधिक होता है, जो फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
पारिवारिक इतिहास और आनुवंशिक कारक
यदि आपके परिवार में किसी को फेफड़ों का कैंसर हुआ है, तो आपको भी इसका खतरा बढ़ जाता है। कुछ आनुवंशिक उत्परिवर्तन व्यक्ति को इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं, भले ही वे धूम्रपान न करते हों।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता को कम कर देती है। कुछ चिकित्सीय स्थितियां या दवाएं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाती हैं, फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
इन बढ़ते खतरों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि धूम्रपान न करने वाले लोग भी फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
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