बॉलीवुड की वो ‘मनहूस’ फिल्म, जिसे बनाते-बनाते हीरोइन और फिर डायरेक्टर, दोनों की हो गई थी मौत
बॉलीवुड के सौ साल के इतिहास में हजारों फिल्में बनी हैं। कुछ सुपरहिट हुईं, कुछ फ्लॉप हो गईं, और कुछ समय के साथ भुला दी गईं। लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जो अपनी कहानी से नहीं, बल्कि अपने बनने के पीछे की दर्दनाक और अनसुनी कहानियों की वजह से आज भी याद की जाती हैं।
आज हम आपको एक ऐसी ही फिल्म का किस्सा सुनाने जा रहे हैं, जिसे हिंदी सिनेमा की सबसे ‘अशुभ’ या ‘मनहूस’ फिल्मों में से एक माना जाता है। यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसे बनाने के दौरान एक नहीं, बल्कि दो-दो बड़ी हस्तियों की मौत हो गई, और ऐसा लगा मानो इस फिल्म पर किसी की नजर लग गई हो।
इस फिल्म का नाम था - ‘बहारें फिर भी आएंगी’।
एक खूबसूरत शुरुआत और पहला ‘अपशकुन’
इस फिल्म को कोई और नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के सबसे जीनियस डायरेक्टर माने जाने वाले गुरु दत्त बना रहे थे। फिल्म के हीरो भी वह खुद ही थे और उनके साथ थीं अपने समय की मशहूर अदाकारा गीता बाली। फिल्म की शूटिंग शुरू हुई, सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था।
लेकिन फिर, फिल्म पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। फिल्म की शूटिंग के दौरान ही, एक्ट्रेस गीता बाली को चेचक (Smallpox) की गंभीर बीमारी हो गई और कुछ ही दिनों में उनका निधन हो गया। यह पूरी फिल्म इंडस्ट्री और गुरु दत्त के लिए एक बहुत बड़ा सदमा था। फिल्म की हीरोइन के बिना, फिल्म का काम वहीं रुक गया।
सबसे बड़ा और आखिरी झटका
गीता बाली की मौत के सदमे से टीम अभी उबर भी नहीं पाई थी कि इस फिल्म से जुड़ी सबसे दर्दनाक और चौंकाने वाली खबर सामने आई। कुछ ही समय बाद, इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक और हीरो, गुरु दत्त, ने आत्महत्या कर ली। वह अपने घर में मृत पाए गए।
फिल्म की हीरोइन जा चुकी थी, और अब उसका डायरेक्टर और हीरो भी इस दुनिया में नहीं रहा। दो-दो मौतों के बाद, हर तरफ यही चर्चा होने लगी कि यह फिल्म ‘मनहूस’ है और अब यह कभी पूरी नहीं हो पाएगी।
जब छोटे भाई ने पूरी की अधूरी फिल्म
ज्यादातर लोग शायद इस फिल्म को वहीं बंद कर देते। लेकिन गुरु दत्त के छोटे भाई, आत्मा राम, ने फैसला किया कि वह अपने भाई के इस आखिरी सपने को अधूरा नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने इस फिल्म को पूरा करने का बीड़ा उठाया।
फिल्म को पूरा करने के लिए उस समय के उभरते हुए सितारे, धर्मेंद्र, को गुरु दत्त की जगह हीरो के तौर पर साइन किया गया।
आखिरकार, तमाम मुश्किलों और दो-दो मौतों का दर्द झेलने के बाद, यह फिल्म पूरी हुई और रिलीज भी हुई। आज, ‘बहारें फिर भी आएंगी’ को लोग सिर्फ एक फिल्म की तरह नहीं, बल्कि उस दर्द, उस त्रासदी और उस जुनून की कहानी के रूप में भी याद करते हैं, जो इसके बनने के दौरान घटी थी।
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