Bihar Politics : तेज प्रताप का फेवरेट बंगला अब हुआ किसी और का ,जानिए नीतीश सरकार ने किस मंत्री को सौंप दी चाबी

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News India Live, Digital Desk : सियासत में कहावत है यहाँ सब कुछ किराए का है, चाहे वो कुर्सी हो या मकान।" आज यह कहावत बिहार के पूर्व मंत्री और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है।

एक वक्त था जब उनका रसूख बोलता था, लेकिन अब वक्त का पहिया ऐसा घूमा है कि न तो पास में विधायकी बची है और न ही सिर छिपाने के लिए वो सरकारी बंगला, जिसे वो अपना आशियाना बनाए हुए थे। नीतीश सरकार (Nitish Government) के भवन निर्माण विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए तेज प्रताप का पटना स्थित सरकारी आवास का आवंटन रद्द कर दिया है।

आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर हुआ क्या है और अब उस बंगले में कौन रहने वाला है।

विधायकी गई, तो बंगला भी गया

जैसा कि आप जानते हैं, सरकारी बंगला उन्ही नेताओं को मिलता है जो मंत्री हों या कम से कम विधायक (MLA) हों। चूँकि फिलहाल तेज प्रताप यादव न तो सरकार में मंत्री हैं और न ही विधायक, इसलिए नियमानुसार उन्हें यह बंगला खाली करना पड़ रहा है।

भवन निर्माण विभाग ने एक आधिकारिक अधिसूचना (Notification) जारी की है। इसमें साफ़ लिखा है कि 3, देशरत्न मार्ग (3, Desharatna Marg) स्थित जो बंगला अब तक तेज प्रताप के पास था, अब उनसे वापस लिया जा रहा है।

अब किसके नाम हुआ यह 'वीआईपी' बंगला?

तेज प्रताप से बंगला लेने के बाद सरकार ने इसे खाली नहीं रखा है, बल्कि तुरंत इसका आवंटन भी कर दिया है। यह बंगला अब बिहार सरकार की परिवहन मंत्री (Transport Minister) शीला मंडल को दे दिया गया है।
यानी, जिस घर में कभी आरजेडी (RJD) के समर्थकों का जमावड़ा लगता था, अब वहां जेडीयू (JDU) कोटे की मंत्री शीला मंडल का नेमप्लेट लगेगा।

तेज प्रताप और बंगलों का 'पुराना रिश्ता'

आपको याद दिला दें कि तेज प्रताप यादव और सरकारी बंगलों की कहानी हमेशा सुर्खियों में रही है।

  • 2017 का वो किस्सा: जब महागठबंधन की सरकार टूटी थी और तेज प्रताप स्वास्थ्य मंत्री पद से हट गए थे, तब भी उन्होंने अपना बंगला खाली किया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार ने बंगले में 'भूत' छोड़ दिए हैं। यह बयान काफी वायरल हुआ था।
  • इसके बाद उन्हें 2020 में यह 3, देशरत्न मार्ग वाला बंगला मिला था, जिसे उन्होंने बहुत प्यार से सजाया था। लेकिन अब करीब 4-5 साल रहने के बाद उन्हें यहाँ से भी बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ेगा।

क्या है सियासी इशारा?

यह खबर सिर्फ़ एक मकान खाली करवाने की नहीं है। यह बिहार की बदलती राजनीति की तस्वीर है। एक तरफ जहां आरजेडी सत्ता से दूर है, वहीं उनके नेताओं की सुख-सुविधाएं भी एक-एक करके कम हो रही हैं।

तेज प्रताप यादव, जो अक्सर अपने अनोखे अंदाज और बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं, उनके लिए यह यकीनन एक भावनात्मक झटका है। अब देखना यह होगा कि तेज भैया अपना सामान लेकर कहां शिफ्ट होते हैं—क्या वो 10 सर्कुलर रोड (मां राबड़ी के आवास) लौटेंगे या कोई नया ठिकाना ढूंढेंगे?

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