Bihar Politics : RJD को सता रहा है अपने विधायक टूटने का डर? अरुण भारती के दावे ने मचाई खलबली
News India Live, Digital Desk : बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए, यह तो बड़े-बड़े सियासी पंडित भी नहीं बता पाते। पटना के सियासी गलियारों में एक बार फिर "ऑपरेशन लोटस" और "खेला होबे" जैसी चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस बार चिंगारी सुलगी है राजद (RJD) नेता भाई वीरेंद्र के एक बयान से, जिस पर पलटवार करते हुए चिराग पासवान के बहनोई और जमुई सांसद अरुण भारती (Arun Bharti) ने ऐसा बम फोड़ दिया है कि महागठबंधन में हलचल तेज हो गई है।
मामला क्या है?
दरअसल, पिछले कुछ समय से यह खबरें आ रही थीं कि राजद और विपक्ष के कई विधायक पाला बदल सकते हैं और एनडीए (NDA) में शामिल हो सकते हैं। इस पर राजद के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने तंज कसा और एनडीए की "औकात" और ताकत पर सवाल खड़े कर दिए। बस फिर क्या था, लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने मोर्चा संभाल लिया और ईंट का जवाब पत्थर से दिया।
"चिराग के नाम पर आ रहे हैं आपके विधायक"
अरुण भारती ने साफ लफ्ज़ों में कहा कि राजद के नेताओं को एनडीए की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि उन्हें अपना घर संभालना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि चिराग पासवान (Chirag Paswan) की बढ़ती लोकप्रियता और पीएम मोदी के काम को देखकर विपक्ष के कई विधायक खुद-ब-खुद एनडीए में शामिल होना चाहते हैं।
भारती ने तंज कसते हुए कहा, "भाई वीरेंद्र बौखलाहट में ऐसे बयान दे रहे हैं। सच्चाई यह है कि उन्हें डर लग रहा है कि कहीं उनका पूरा कुनबा ही खाली न हो जाए। हमारे गठबंधन में कोई जबरदस्ती किसी को नहीं ला रहा, लोग खुद विकास देखकर आ रहे हैं।"
विपक्ष में हताशा का माहौल?
अरुण भारती यहीं नहीं रुके। उन्होंने राजद खेमे पर मनोवैज्ञानिक वार भी किया। उनका कहना है कि विपक्ष इस समय "हताशा और निराशा" (Frustration) के दौर से गुजर रहा है। जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं या सरकार मजबूती से काम करती है, तो विपक्ष के वो नेता जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, उन्हें चिराग पासवान और एनडीए में ही अपना सहारा दिखाई देता है।
"सस्ती लोकप्रियता के लिए बयानबाजी बंद करें"
सांसद ने भाई वीरेंद्र को नसीहत भी दे डाली कि सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए बेबुनियाद बयान देने से कुछ हासिल नहीं होगा। जनता अब "परिवारवाद और जंगलराज" के पुराने दिनों को भूलकर आगे बढ़ना चाहती है। अरुण भारती के तेवरों से यह साफ है कि एनडीए आने वाले दिनों में विपक्ष को और जोर का झटका धीरे से देने की तैयारी में है।
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि अरुण भारती के इस दावे में कितना दम है। क्या वाकई राजद में बड़ी टूट होने वाली है, या यह सिर्फ एक सियासी पैंतरा है? बिहार की सर्दी में सियासत की यह गर्मी तो यही इशारा कर रही है कि कुछ बड़ा होने वाला है!
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