अमेरिका जाने का सपना देखने वाले भारतीय इंजीनियर्स के लिए बड़ी खुशखबरी, वीज़ा के इस बड़े नियम में हुआ बदलाव

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News India Live, Digital Desk: अमेरिका में नौकरी करने और बसने का सपना देखने वाले लाखों भारतीय टेक प्रोफेशनल्स (IT Professionals) के लिए एक राहत भरी खबर आई है. अमेरिका ने वीज़ा प्रक्रिया से जुड़े एक बड़े नियम में बदलाव किया है. जिससे H-1B वीज़ा के लिए अप्लाई करने वाले हज़ारों भारतीयों को सीधा फायदा पहुंचने की उम्मीद है. इस फैसले से न सिर्फ वीज़ा मिलने की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा, बल्कि यह भारतीय टेक कर्मचारियों की एक बड़ी चिंता को भी दूर करेगा.

क्या है यह बड़ा बदलाव?

दरअसल, अमेरिकी सरकार ने H-1B वीज़ा से जुड़ी एक अहम फीस को माफ करने की घोषणा की है. पहले, जब कोई भारतीय प्रोफेशनल H-1B वीज़ा पर अमेरिका में रहते हुए अपनी नौकरी बदलता था, तो नई कंपनी को उस कर्मचारी के लिए दोबारा वीज़ा एक्सटेंशन और दूसरी फीस भरनी पड़ती थी. इसमें काफी पैसा और समय लगता है. 

लेकिन अब, नए नियम के तहत कुछ मामलों में वीज़ा फीस में छूट देने का ऐलान किया गया है. . इसका मतलब है कि अगर कोई भारतीय कर्मचारी पहले से ही अमेरिका में H-1B वीज़ा पर काम कर रहा है.  और वह नौकरी बदलकर किसी दूसरी कंपनी में जाता है.  तो नई कंपनी है. कुछ शुल्क दोबारा नहीं भरने पड़ेंगे.

इस फैसले का भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा?

  1. नौकरी बदलने में आसानी: अब तक कई भारतीय टेक प्रोफेशनल्स अच्छी नौकरी का मौका मिलने के बावजूद सिर्फ इसलिए कंपनी नहीं बदल पाते थे, क्योंकि नई कंपनी वीज़ा ट्रांसफर के भारी-भरकम खर्चे और लंबी प्रक्रिया से बचना चाहती है. . इस फीस के हटने से अब उनके लिए नौकरी बदलना और अपने करियर में आगे बढ़ना आसान हो जाएगा.
  2. कंपनियों को भी मिलेगी राहत: यह फैसला सिर्फ कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि उन अमेरिकी कंपनियों के लिए भी फायदेमंद है. जो भारतीय टैलेंट है.  नौकरी देना चाहती हैं. अब वे बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय बोझ के भारतीय प्रोफेशनल्स को हायर कर सकेंगी.
  3. बढ़ेगी भारतीय प्रोफेशनल्स की मांग: ऐसा माना जा रहा है कि इस नियम के बाद अमेरिकी कंपनियों में कुशल भारतीय टेक कर्मचारियों की मांग और भी बढ़ सकतीहै. .

यह कदम अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते सकारात्मक रिश्तों का एक और सबूत है. यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब पूरी दुनिया में कुशल पेशेवरों की मांग बढ़ रही है. इससे अमेरिका को भी भारत के बेहतरीन टैलेंट को अपने यहां रोकने में मदद मिलेगी. यह निश्चित रूप से भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए एक बड़ी जीत है.

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