अमृतपाल सिंह ने नहीं मानी हार पंजाब सरकार ने रोकी पैरोल, तो इंसाफ के लिए हाई कोर्ट पहुँच गया वारिस पंजाब दे प्रमुख
News India Live, Digital Desk : पंजाब की राजनीति और कानून-व्यवस्था के गलियारों में एक बार फिर 'अमृतपाल सिंह' (Amritpal Singh) का नाम गूंज रहा है। असम की डिब्रूगढ़ जेल (Dibrugarh Jail) की ऊंची दीवारों और सलाखों के पीछे बंद अमृतपाल सिंह ने एक बार फिर बाहर आने की कोशिश की है, लेकिन मामला अटक गया है।
हुआ यूं कि खडूर साहिब से सांसद और 'वारिस पंजाब दे' के मुखी अमृतपाल सिंह ने जेल से बाहर आने के लिए पैरोल (Parole) की अर्जी लगाई थी। लेकिन पंजाब सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया। अब अमृतपाल चुप बैठने वालों में से तो है नहीं, उसने तुरंत इस फैसले को चुनौती देने के लिए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab & Haryana High Court) का दरवाजा खटखटा दिया है।
सरकार ने क्यों कहा 'ना'?
खबरों के मुताबिक, अमृतपाल सिंह ने कुछ पारिवारिक वजहों या धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए छुट्टी (पैरोल) मांगी थी। आमतौर पर कैदियों को कुछ शर्तों पर यह मिल भी जाती है। लेकिन पंजाब सरकार और जिला मजिस्ट्रेट (DM) ने शायद 'कानून-व्यवस्था' (Law and Order) का हवाला देते हुए इस अर्जी को ठुकरा दिया।
प्रशासन को शायद डर है कि अमृतपाल के बाहर आते ही माहौल खराब हो सकता है या समर्थकों की भीड़ जुड़ सकती है।
अब कोर्ट में क्या दलील दी गई?
अमृतपाल के वकीलों ने हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए कहा है कि सरकार का फैसला "मनमाना" और "गैर-कानूनी" है। उनका तर्क है कि एक चुने हुए जनप्रतिनिधि (सांसद) और एक नागरिक के तौर पर उसे पैरोल पाने का हक़ है, खासकर जब कोई वाजिब वजह हो। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई है कि डीएम के उस आदेश को रद्द किया जाए और उन्हें तुरंत राहत दी जाए।
नजरें हाई कोर्ट पर टिकीं
यह मामला अब बेहद दिलचस्प हो गया है। एक तरफ राज्य सरकार है जो रिस्क नहीं लेना चाहती, और दूसरी तरफ अमृतपाल है जो कानूनी दांव-पेंच लड़ा रहा है। एनएसए (NSA) के तहत बंद अमृतपाल के लिए बाहर आना आसान नहीं है, लेकिन हाई कोर्ट का रुख क्या रहता है, इस पर पूरे पंजाब की निगाहें टिकी हैं।
क्या कोर्ट सरकार की दलील मानेगा या अमृतपाल को कुछ दिनों की आजादी मिलेगी? सुनवाई के बाद ही तस्वीर साफ होगी, लेकिन तब तक पंजाब की सियासत में सुगबुगाहट तेज हो गई है।
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