अमेरिका देखता रह जाएगा और भारत कर देगा बड़ा खेल? डिफेंस से लेकर तेल तक, जानें क्या है मोदी पुतिन का प्लान

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News India Live, Digital Desk : जिओ-पॉलिटिक्स  में एक कहावत है "दोस्त बदलते रहते हैं, लेकिन रूस और भारत की यारी फेविकोल की तरह मजबूत है।" दुनिया में चाहे कितनी भी उथल-पुथल क्यों न मची हो, भारत ने कभी रूस का साथ नहीं छोड़ा और न ही रूस ने भारत का।

अब एक बड़ी खबर पक्की हो गई है। रूसी राष्ट्रपति भवन (क्रेमलिन) ने कन्फर्म कर दिया है कि व्लादिमीर पुतिन 2025 में भारत के दौरे पर आएंगे। सोचिए, जिस नेता (पुतिन) की यात्रा पर पश्चिमी देशों की कड़ी नज़र रहती है, उनका भारत आना कितना बड़ा संकेत है!

आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि जब मोदी और पुतिन 'चाय पे चर्चा' करेंगे, तो किन बड़े मुद्दों पर मुहर लग सकती है और इसका हमारे देश को क्या फायदा होगा।

1. हथियारों की सप्लाई और 'मेक इन इंडिया'

सबसे अहम मुद्दा डिफेंस (Defense) है। हम जानते हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत को हथियारों के स्पेयर पार्ट्स (Spare Parts) और एस-400 (S-400) सिस्टम की डिलीवरी में थोड़ी देरी हुई है।
2025 की मुलाकात में भारत दो टूक बात करेगा:

  • "भैया, जो रुका हुआ सामान है, वो जल्दी भेजो।"
  • और सबसे ज़रूरी Joint Production। भारत अब खरीददार नहीं, पार्टनर बनना चाहता है। पीएम मोदी चाहेंगे कि रूस अपनी डिफेंस टेक्नोलॉजी भारत लाए और यहीं फैक्ट्रियों में हथियार बनाए जाएं।

2. 'तेल का खेल' और भुगतान का लफड़ा

हम रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल (Crude Oil) खरीद रहे हैं, जिससे हमें सस्ता पेट्रोल-डीजल मिल पा रहा है। लेकिन पेमेंट में दिक्कत आ रही है। भारत रुपये में पैसा देता है, लेकिन रूस के पास इतना भारतीय रुपया जमा हो गया है कि वो उसे खर्च कहां करे?
इस मीटिंग में एक नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर बात हो सकती है। या फिर रूस उस रुपये को भारतीय शेयर बाजार या इंफ्रास्ट्रक्चर में इन्वेस्ट करे, इस पर सहमति बन सकती है।

3. व्यापार का असंतुलन (Trade Imbalance)

फिलहाल गणित गड़बड़ाया हुआ है। हम रूस से खरीद तो बहुत कुछ रहे हैं (तेल, खाद, हथियार), लेकिन हम उन्हें बेच बहुत कम रहे हैं।
पीएम मोदी इस बात पर जोर देंगे कि रूस अपनी मार्केट भारतीय कंपनियों के लिए खोले। दवाइयां (Pharma), मशीनरी, कपड़े और खाने-पीने का सामान भारत से रूस एक्सपोर्ट हो, ताकि व्यापार बराबर का रहे।

4. कनेक्टिविटी: चेन्नई से व्लादिवोस्तोक

दोनों नेता चेन्नई-व्लादिवोस्तोक मैरीटाइम कॉरिडोर (समुद्री रास्ता) को जल्द चालू करने पर भी साइन कर सकते हैं। यह रास्ता खुल गया तो समझिये कि रूस से सामान भारत आने में समय आधा हो जाएगा और स्वेज नहर (Suez Canal) पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी।

5. दुनिया को कड़ा संदेश

इस यात्रा का एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी है। जब पुतिन दिल्ली आएंगे, तो यह पश्चिमी देशों (अमेरिका और यूरोप) के लिए साफ़ संदेश होगा कि भारत अपनी विदेश नीति खुद तय करता है। हम किसी के दबाव में नहीं झुकते। यह हमारी 'Strategic Autonomy' का सबसे बड़ा सबूत होगा।

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