खाना पकाने के कितने घंटे बाद खाना चाहिए? जानिए आयुर्वेद क्या कहता है
बचपन से ही हमें सिखाया जाता रहा है कि खाने को बर्बाद करना अच्छा नहीं होता। इसलिए, कई लोग बचे हुए खाने को फेंकने की बजाय फ्रिज में रख देते हैं और ज़रूरत पड़ने पर खा लेते हैं। आधुनिक विज्ञान के अनुसार, बचे हुए खाने को गर्म करके सही तरीके से सुरक्षित रखा जा सकता है और खाया जा सकता है, लेकिन आयुर्वेद शास्त्र इस मुद्दे पर एक अलग दृष्टिकोण रखता है। आयुर्वेद के अनुसार, बचा हुआ खाना शरीर के लिए अच्छा नहीं होता, क्योंकि यह स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। खासकर, सुबह का बचा हुआ खाना या रात में सुबह का बना खाना खाने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ताज़ा बना भोजन शरीर को आवश्यक पोषक तत्व और ऊर्जा प्रदान करता है, जबकि बासी या संग्रहीत भोजन अपनी पौष्टिकता खो देता है। ऐसा भोजन आपको स्वस्थ रखने के बजाय भारीपन और सुस्ती का एहसास कराता है। आयुर्वेद के अनुसार, खाना पकने के बाद केवल एक से तीन घंटे तक ही ताज़ा और लाभकारी रहता है। इसलिए, इसे इसी अवधि के भीतर ग्रहण करना सर्वोत्तम माना जाता है।

अगर आपको पहले से पका हुआ खाना खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, तो उसे खराब होने से बचाने के लिए उसे सही तरीके से स्टोर करना बेहद ज़रूरी है। आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, खाने में बैक्टीरिया की वृद्धि को रोकने और उसे खाने योग्य बनाए रखने के लिए वैक्यूम सीलिंग या हीट इंसुलेशन का इस्तेमाल फायदेमंद माना जाता है। (साभार: एआई जेनरेटेड)

आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, बचा हुआ खाना खाने से शरीर में दोषों का असंतुलन और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेद में बताए गए तीन दोषों, वात, पित्त और कफ में से वात दोष पाचन प्रक्रिया से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है। जब बासी या लंबे समय से रखा हुआ भोजन खाया जाता है, तो वात दोष में असंतुलन की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, समय के साथ बचे हुए भोजन में बैक्टीरिया और कीटाणु तेजी से पनपने लगते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। साथ ही, भोजन में मौजूद पोषक तत्व धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं, जिससे वह शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं दे पाता। इसी वजह से आयुर्वेद सुझाव देता है कि खाना पकाने के एक घंटे के भीतर ही उसका सेवन कर लेना सबसे अच्छा होता है, ताकि शरीर को पूरा पोषण और ऊर्जा मिल सके। (साभार: एआई जेनरेटेड)

योग और आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार, आपके द्वारा बनाया गया भोजन आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर सीधा प्रभाव डालता है। अगर आप ताज़ा, पौष्टिक और सात्विक भोजन करते हैं, तो शरीर को ऊर्जा मिलती है और मन शांत रहता है। इसके विपरीत, बासी, जंक या राजसिक भोजन करने से शरीर में आलस्य, चिड़चिड़ापन और क्रोध बढ़ता है। इसलिए, संतुलित स्वास्थ्य और सकारात्मक मनोदशा के लिए हमेशा ताज़ा और गर्म भोजन करने की सलाह दी जाती है।
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