आसमान में दिखने वाला है साल का आखिरी अद्भुत नज़ारा, पर क्या भारत में हम इसे देख पाएंगे?
साल का अंत नज़दीक आ रहा है और अपने साथ एक बेहद खास खगोलीय घटना भी ला रहा है यानी इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण! जब भी ग्रहण की बात आती है, तो हम सभी के मन में एक उत्सुकता जाग जाती है कि आसमान में यह अनोखा नज़ारा कैसा दिखेगा।
तो चलिए, सबसे पहले आपके मन के सबसे बड़े सवाल का जवाब दे देते हैं।
क्या यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा?
सीधा और सरल जवाब है नहीं। इस साल का यह अंतिम सूर्य ग्रहण भारत के किसी भी हिस्से से दिखाई नहीं देगा। इसलिए, आपको इसे देखने के लिए कोई खास चश्मा या उपकरण ढूंढने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
तो फिर यह ग्रहण कहाँ दिखेगा और कैसा होगा?
यह कोई मामूली सूर्य ग्रहण नहीं है, बल्कि एक "वलयाकार सूर्य ग्रहण" है। इसे अंग्रेज़ी में Annular Solar Eclipse कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो इसे "रिंग ऑफ फायर" (Ring of Fire) भी कहा जाता है।
ऐसा तब होता है जब चाँद, सूरज और पृथ्वी के बीच तो आ जाता है, लेकिन वह सूरज को पूरी तरह से ढक नहीं पाता। इसके बजाय, सूरज का बाहरी किनारा एक चमकती हुई आग की अंगूठी की तरह दिखाई देता है। यह नज़ारा सच में बहुत खूबसूरत और दुर्लभ होता है।
इस साल यह शानदार "रिंग ऑफ फायर" मुख्य रूप से दक्षिणी अमेरिका के कुछ देशों, जैसे चिली और अर्जेंटीना में दिखाई देगा। इसके अलावा, प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में भी लोग इस अद्भुत घटना के गवाह बनेंगे।
तो क्या सूतक काल का भी कोई असर होगा?
हमारे देश में ग्रहण को लेकर कुछ धार्मिक मान्यताएं भी हैं, जिनमें "सूतक काल" सबसे अहम है। सूतक काल के दौरान कई तरह के कामों को करने की मनाही होती है।
लेकिन जैसा कि हमने बताया, यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई ही नहीं देगा। ज्योतिष और धर्म के जानकारों के अनुसार, जब ग्रहण किसी जगह पर दिखाई नहीं देता, तो वहां पर सूतक काल के नियम भी लागू नहीं होते हैं। तो इसका मतलब है कि भारत में लोगों को सूतक काल के बारे में चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है और उनकी सामान्य दिनचर्या पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
तो भले ही हम भारत में इस "रिंग ऑफ फायर" को अपनी आँखों से नहीं देख पाएंगे, लेकिन इसके बारे में जानना भी किसी रोमांच से कम नहीं है!
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