पितृ पक्ष पर ग्रहण का साया! क्या आपके पितरों तक पहुँचेगा आपका श्राद्ध? जानें सूतक में क्या करें, क्या नहीं

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पितृ पक्ष... वो 15 दिन जब हम अपने उन पूर्वजों को पूरी श्रद्धा से याद करते हैं, जिनकी वजह से हमारा अस्तित्व है। यह समय उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का होता है, ताकि हमें उनका आशीर्वाद मिल सके।

लेकिन इस साल, 2025 में, पितृ पक्ष की शुरुआत एक ऐसी खगोलीय घटना के साथ हो रही है, जिसने लोगों के मन में एक बड़ी उलझन पैदा कर दी है। इस बार पितृ पक्ष के पहले ही दिन चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी लग रहा है। और जहाँ ग्रहण होता है, वहाँ सूतक काल भी होता है—एक ऐसा समय जिसे शास्त्रों में अशुभ माना जाता है और जिसमें कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है।

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि एक तरफ पितरों के लिए श्राद्ध जैसा पुण्य कार्य और दूसरी तरफ ग्रहण का अशुभ सूतक काल... ऐसे में श्राद्ध कैसे किया जाएगा? क्या सूतक में किया गया तर्पण हमारे पितरों तक पहुँचेगा?

क्या ग्रहण के सूतक में श्राद्ध कर सकते हैं?

यह उलझन बिल्कुल जायज है। शास्त्रों के अनुसार, सूतक काल में पूजा-पाठ, मूर्ति स्पर्श और कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। लेकिन जब बात श्राद्ध की आती है, तो नियम थोड़े बदल जाते हैं।

ज्योतिष और धर्म के जानकारों का कहना है कि श्राद्ध एक 'नित्य कर्म' है, यानी यह एक ऐसी ज़िम्मेदारी है जिसे टाला नहीं जा सकता। यह हमारे पितरों के प्रति हमारा कर्तव्य है। इसलिए, ग्रहण के सूतक काल में श्राद्ध कर्म करने पर कोई रोक नहीं है। आप अपने पितरों के नाम से तर्पण और पिंडदान बिल्कुल कर सकते हैं।

हाँ, सूतक के नियमों का पालन करते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है।

सूतक काल में श्राद्ध कैसे करें? जानिए सही तरीका

  1. तर्पण और पिंडदान: आप सूतक काल में तर्पण (जल देना) और पिंडदान कर सकते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, जैसे कुश, तिल और जल को ग्रहण के स्पर्श दोष से बचाने के लिए उन पर पहले से ही तुलसी का पत्ता डाल दें।
  2. ब्राह्मण को भोजन कैसे कराएं? यह सबसे बड़ा सवाल है। सूतक काल में पका हुआ भोजन अशुद्ध माना जाता है। इसलिए, इस दिन ब्राह्मण को घर पर बुलाकर पका हुआ भोजन कराने की बजाय, आप उन्हें 'सीधा' या 'सूखा सामान' दान कर सकते हैं। इसमें आटा, दाल, चावल, घी, सब्जियां और दक्षिणा शामिल होती है। यह उतना ही पुण्य फल देता है जितना कि पका हुआ भोजन कराने से मिलता है।
  3. ग्रहण समाप्त होने के बाद: जैसे ही ग्रहण समाप्त हो, सबसे पहले घर की साफ-सफाई करें, गंगाजल का छिड़काव करें और खुद भी स्नान करें। इसके बाद आप अपनी बाकी पूजा विधि पूरी कर सकते हैं।

संक्षेप में कहें तो, इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत पर आपको घबराने की ज़रूरत नहीं है। बस थोड़ी सी सावधानी बरतकर और नियमों को समझकर आप अपने पितरों के प्रति अपना कर्तव्य पूरी श्रद्धा से निभा सकते हैं, और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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