करोड़ों महिलाएं क्यों बीच में ही छोड़ देती हैं परिवार नियोजन के साधन? WHO की रिपोर्ट ने खोली आंखें
परिवार नियोजन (Family Planning) को महिलाओं की सेहत और उनकी आजादी के लिए एक बहुत बड़ा और जरूरी कदम माना जाता है। यह उन्हें यह तय करने का अधिकार देता है कि उन्हें कब और कितने बच्चे चाहिए। सरकारें और स्वास्थ्य संस्थाएं सालों से गर्भनिरोधक साधनों को महिलाओं तक पहुंचाने के लिए मेहनत कर रही हैं।
लेकिन, क्या सिर्फ साधनों को पहुंचा देना ही काफी है? विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक हालिया रिपोर्ट ने एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक सवाल खड़ा किया है। रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में करोड़ों महिलाएं गर्भनिरोधक साधन इस्तेमाल करना तो शुरू करती हैं, लेकिन उनमें से एक बड़ी संख्या साल भर के अंदर ही उसे बीच में ही छोड़ देती है।
यह आंकड़ा हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर गड़बड़ कहाँ है? महिलाएं क्यों उस चीज को इस्तेमाल करना बंद कर देती हैं जो उनके अपने भले के लिए है?
सिर्फ एक वजह नहीं, कई हैं अनकही परेशानियां
WHO की रिपोर्ट के अनुसार, इसके पीछे कोई एक अकेली वजह नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की उन अनकही और अनसुनी समस्याओं का नतीजा है, जिन पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता:
- सेहत से जुड़ी परेशानियां (Side Effects): यह सबसे बड़ी वजहों में से एक है। गर्भनिरोधक गोलियां, इंजेक्शन या अन्य तरीकों के कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे - वजन बढ़ना, सिरदर्द, मूड में बदलाव या अनियमित ब्लीडिंग। जब किसी महिला को यह परेशानियां होती हैं, और उसे यह बताने वाला कोई नहीं होता कि यह सामान्य है या इससे कैसे निपटा जाए, तो वह डरकर उसे बंद कर देती है।
- सही जानकारी और मदद की कमी: कई बार स्वास्थ्यकर्मी बहुत व्यस्त होते हैं और वे महिलाओं को सभी विकल्पों के बारे में या उनके साइड इफेक्ट्स के बारे में ठीक से नहीं समझा पाते। महिलाओं को भी कई बार सवाल पूछने में झिझक होती है। सही सलाह और सपोर्ट के अभाव में वे इसे जारी नहीं रख पातीं।
- परिवार का दबाव और पार्टनर का साथ न मिलना: आज भी कई समाजों में परिवार नियोजन का फैसला अकेले महिला का नहीं होता। कई बार परिवार के दबाव या पार्टनर के सहयोग न करने की वजह से भी महिलाओं को इसे बीच में ही छोड़ना पड़ता है।
- गलतफहमियां और डर: गर्भनिरोधक तरीकों को लेकर समाज में कई तरह की गलत धारणाएं और डर फैले हुए हैं, जैसे - इससे भविष्य में मां बनने में दिक्कत आएगी या शरीर हमेशा के लिए कमजोर हो जाएगा। यह गलत जानकारी भी महिलाओं को डराती है।
तो समाधान क्या है?
WHO का कहना है कि अब हमें सिर्फ गर्भनिरोधक बांटने से आगे सोचना होगा। हमें एक ऐसा सिस्टम बनाना होगा जहां महिलाओं की बात सुनी जाए। उन्हें सिर्फ एक साधन देकर भेज न दिया जाए, बल्कि लगातार उनसे संपर्क में रहा जाए, उनकी परेशानियों को समझा जाए और अगर एक तरीका सूट नहीं कर रहा, तो उन्हें दूसरा विकल्प दिया जाए।
परिवार नियोजन सिर्फ एक गोली या इंजेक्शन नहीं है, यह एक महिला के स्वास्थ्य और आत्मविश्वास से जुड़ा फैसला है, और इस सफर में उसे अकेले नहीं छोड़ा जा सकता।
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