बिहार के कौन से प्रसिद्ध मंदिर हैं? बिहार में सबसे पुराना मंदिर कौन सा है, जाएं तो जरूर करें दर्शन, जानिए वहां का पुराना इतिहास
बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ धर्म और इतिहास का संगम कदम-कदम पर देखने को मिलता है। चाहे वह बौद्ध धर्म हो, जैन धर्म हो या सनातन धर्म, बिहार की मिट्टी में सबकी जड़ें गहरी हैं। अगर आप बिहार में धार्मिक यात्रा का मन बना रहे हैं, तो आपको वहां के सबसे प्राचीन और सिद्ध मंदिरों के बारे में जरूर जानना चाहिए।
यहाँ बिहार के कुछ सबसे प्रसिद्ध मंदिर और वहां के 'सबसे पुराने मंदिर' के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।
बिहार का सबसे पुराना मंदिर: माँ मुंडेश्वरी देवी मंदिर (Mundeshwari Devi Temple)
जब बात बिहार के (और कई मायनों में भारत के) सबसे पुराने मंदिर की आती है, तोकैमूर जिलेकी पहाड़ियों पर स्थित 'मुंडेश्वरी देवी मंदिर'का नाम सबसे ऊपर आता है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार यह भारत के सबसे पुराने 'जीवित' (Functional) मंदिरों में से एक है।
इतिहास और खासियत:
- आयु:पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह मंदिर108 ईस्वी (108 AD)के आसपास का बना हुआ है। यानी यह लगभग 2000 साल पुराना है।
- अनोखी वास्तुकला:यह मंदिर अष्टकोणीय (Octagonal) आकार में बना है, जो भारतीय मंदिर निर्माण शैली (नागर शैली) का एक बहुत ही दुर्लभ और पुराना नमूना है।
- देवता:यहाँ मुख्य रूप से माँ शक्ति (मुंडेश्वरी)औरभगवान शिवकी पूजा होती है। गर्भगृह में एक चतुर्मुखी शिवलिंग भी है, जिसका रंग सूर्य की रोशनी के साथ बदलता हुआ प्रतीत होता है।
यहाँ का सबसे बड़ा चमत्कार: 'अहिंसक बलि' (Bloodless Sacrifice)
इस मंदिर में बकरे की बलि चढ़ाने की एक बेहद अनोखी परंपरा है। यहाँ 'बलि' तो दी जाती है, लेकिन किसी जीव की जान नहीं ली जाती। भक्त बकरे को देवी के सामने लाते हैं, पुजारी उस पर मंत्र पढ़कर चावल (अक्षत) और फूल फेंकते हैं। आश्चर्यजनक रूप से बकरा वहीं बेहोश या सुन्न हो जाता है। कुछ देर बाद जब दोबारा मंत्र पढ़कर अक्षत डाला जाता है, तो बकरा उठ खड़ा होता है और उसे छोड़ दिया जाता है। यहाँ खून की एक बूंद भी नहीं गिरती। यह चमत्कार देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
बिहार के अन्य प्रसिद्ध मंदिर (जहाँ आपको जरूर जाना चाहिए)
मुंडेश्वरी देवी के अलावा, बिहार में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है:
1. महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple), बोधगया
यह विश्व प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर यूनेस्को (UNESCO) की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है।
- महत्व:यहीं पर वह पवित्र बोधि वृक्षहै, जिसके नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- इतिहास:माना जाता है कि यहाँ पहला मंदिर सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था। मौजूदा ढांचा गुप्त काल (5वीं-6वीं शताब्दी) का माना जाता है और ईंटों से बने सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यहाँ की शांति आपके मन को मोह लेगी।
2. विष्णुपद मंदिर (Vishnupad Temple), गया
मोक्ष की नगरी गया में फल्गु नदी के किनारे स्थित यह मंदिर हिंदुओं के लिए, विशेषकर पिंडदान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- इतिहास:मंदिर के अंदर काले पत्थर पर भगवान विष्णु के पदचिह्न (पैरों के निशान)मौजूद हैं, जो लगभग 40 सेंटीमीटर लंबे हैं।
- किंवदंती:माना जाता है कि भगवान विष्णु ने यहाँ गयासुर राक्षस का वध अपनी छाती पर पैर रखकर किया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1787 में इंदौर की महारानीअहिल्याबाई होल्करने करवाया था।
3. पटन देवी मंदिर (Patan Devi Temple), पटना
पटना शहर का नाम इन्हीं देवी के नाम पर पड़ा है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहाँ माता की तीन स्वरूपों—महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती—की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
4. सूर्य मंदिर (Sun Temple), देव (औरंगाबाद)
छठ पूजा के लिए मशहूर बिहार में सूर्य देव का यह मंदिर बहुत खास है।
- खासियत:भारत के अधिकतर सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख (East facing) होते हैं, लेकिन देव का सूर्य मंदिरपश्चिमाभिमुख (West facing)है। इसकी वास्तुकला कोणार्क के सूर्य मंदिर से काफी मिलती-जुलती है और इसे भी त्रेता युग का माना जाता है।
5. जल मंदिर (Jal Mandir), पावापुरी
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह अत्यंत पवित्र स्थान है। नालंदा के पास स्थित पावापुरी में एक बड़े तालाब के बीचो-बीच यह सफ़ेद संगमरमर का मंदिर बना है।
- महत्व:यहीं पर भगवान महावीर ने निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त किया था।
6. जानकी मंदिर (Janaki Mandir), सीतामढ़ी/पुनौराधाम
सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। पुनौराधाम में स्थित जानकी मंदिर रामायण सर्किट का एक प्रमुख हिस्सा है। मान्यता है कि राजा जनक के हल चलाने पर यहीं से धरती फटकर माता सीता प्रकट हुई थीं।
तो अगर आप इतिहास और आध्यात्म को करीब से महसूस करना चाहते हैं, तो बिहार के इन मंदिरों, विशेषकर मुंडेश्वरी देवी मंदिरके दर्शन का प्लान जरूर बनाएं। वहां की प्राचीन दीवारों और अद्भुत 'अहिंसक बलि' को देखना एक अलग ही अनुभव होगा।
--Advertisement--