जब CJI ने कहा सिस्टम आंखें मूंदे बैठा है, सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया सख्त अल्टीमेटम

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News India Live, Digital Desk : हमारे देश में सरकारी जमीन पर कब्जा होना या अवैध निर्माण खड़ा हो जाना कोई नई बात नहीं है। अक्सर हम देखते हैं कि अधिकारी कुंभकर्ण की नींद सोते रहते हैं और जब मामला कोर्ट पहुंचता है, तब उनकी नींद खुलती है। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे "सोते हुए" अधिकारियों को झकझोर कर जगा दिया है।

देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत अवैध अतिक्रमण (Encroachment) के एक मामले पर सुनवाई कर रहे थे। सुनवाई के दौरान जब अधिकारियों का ढुलमुल रवैया सामने आया, तो CJI अपनी नाराजगी नहीं छिपा सके और उन्होंने प्रशासन को जमकर फटकार लगाई।

"मूकदर्शक क्यों बने थे आप?"
CJI सूर्यकांत ने भरी अदालत में अधिकारियों से सीधा सवाल पूछा "आपकी आंखों के सामने सरकारी जमीन पर कब्जा हो रहा था, अवैध ईंटें जोड़ी जा रही थीं, और आप मूकदर्शक (Mute Spectator) बनकर सब देख रहे थे? आपने तब कार्रवाई क्यों नहीं की?"

कोर्ट की यह टिप्पणी उस कड़वे सच को बयां करती है जिससे आम जनता रोज जूझती है। जजों का मानना था कि इतना बड़ा निर्माण या कब्जा एक रात में नहीं होता। यह महीनों और सालों तक चलता है। तो क्या उस वक्त सरकारी बाबू और फील्ड अफसर छुट्टी पर थे?

मिलीभगत पर चोट?
सुप्रीम कोर्ट की इस सख्त टिप्पणी का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि कोर्ट को संदेह है कि या तो अधिकारियों की लापरवाही है या फिर उनकी मिलीभगत। अक्सर देखा जाता है कि जब तक निर्माण पूरा नहीं हो जाता और उसमें लोग रहने नहीं लगते, तब तक प्रशासन कोई एक्शन नहीं लेता। और बाद में जब तोड़ने की बारी आती है, तो हंगामा होता है।

CJI ने साफ कर दिया कि "आंखें मूंद लेने" का बहाना अब नहीं चलेगा। अगर सरकारी जमीन पर कब्जा हुआ है, तो इसके जिम्मेदार सिर्फ कब्जा करने वाले नहीं, बल्कि उन्हें रोकने में नाकाम रहने वाले अफसर भी हैं।

सिस्टम को सख्त संदेश
इस सुनवाई ने पूरे देश के नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों (जैसे DDA आदि) को एक कड़ा संदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट अब फाइलों में दबी सफाई नहीं, बल्कि जमीन पर एक्शन चाहता है। अधिकारियों को अब यह समझना होगा कि वे केवल ऑफिस में बैठने के लिए नहीं, बल्कि पब्लिक प्रॉपर्टी की रक्षा के लिए भी जवाबदेह हैं।

अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की इस "डांट" के बाद क्या प्रशासन की नींद सच में टूटेगी या फिर फाइलें ऐसे ही रेंगती रहेंगी?

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