नेशनल हेराल्ड केस सोनिया और राहुल गांधी की मुश्किलें फिर बढ़ीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस
News India Live, Digital Desk : राजनीति में कहते हैं कि "राहत" और "आफत" के बीच का फासला बहुत कम होता है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ आज कुछ ऐसा ही हुआ। अभी कुछ दिन पहले ही उन्हें ट्रायल कोर्ट (निचली अदालत) से एक बड़ी राहत मिली थी जब कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से मना कर दिया था। गांधी परिवार और कांग्रेस के खेमे में ख़ुशी की लहर थी कि चलो, बला टली।
लेकिन, सोमवार (22 दिसंबर 2025) को कहानी फिर पलट गई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हार नहीं मानी और निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने सीधे दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया। और अब, हाई कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया है।
कोर्ट रूम में आज क्या हुआ?
आज दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस रविंद्र डुडेजा की बेंच के सामने यह मामला आया। ED की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने बहुत ही दमदार दलीलें पेश कीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगर ट्रायल कोर्ट का फैसला (जिसमें उन्होंने PMLA केस को खारिज जैसा कर दिया था) मान लिया जाए, तो 'मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट' का तो मतलब ही खत्म हो जाएगा।
मेहता ने कहा कि निचली अदालत ने एक बहुत बड़ी तकनीकी गलती की है यह मानकर कि "चूंकि कोई पुलिस FIR या प्रिडिकेट ऑफेंस नहीं है, इसलिए ED जांच नहीं कर सकती"। उन्होंने तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग एक स्टैंडअलोन अपराध है। हाई कोर्ट ने ED की बातों को गंभीरता से सुना और सोनिया गांधी, राहुल गांधी, और ए.जे.एल. (Associated Journals Ltd) से जुड़े लोगों को नोटिस थमा दिया।
कांग्रेस की उम्मीदों पर फिरा पानी?
याद दिला दें कि ट्रायल कोर्ट ने अभी हाल ही में कहा था कि नेशनल हेराल्ड का मामला एक 'निजी शिकायत' (जो सुब्रमण्यम स्वामी ने की थी) पर आधारित है, न कि किसी पुलिस FIR पर। इसलिए ED की मनी लॉन्ड्रिंग वाली शिकायत पर संज्ञान नहीं लिया जा सकता।
इस फैसले को कांग्रेस ने अपनी बड़ी जीत माना था और कहा था कि यह "राजनीतिक बदले" की हार है। लेकिन आज हाई कोर्ट के नोटिस ने साफ कर दिया है कि क़ानूनी लड़ाई अभी लंबी चलेगी और इतनी आसानी से खत्म होने वाली नहीं है।
अब आगे क्या होगा?
हालांकि, एक राहत की बात यह है कि हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 मार्च 2026 की तारीख तय की है। यानी गांधी परिवार के पास अपना जवाब तैयार करने के लिए 2-3 महीने का वक्त है। लेकिन, ED जिस आक्रामकता के साथ इस केस को लड़ रही है, उससे साफ है कि साल 2026 में भी यह मामला सियासी भूचाल लाता रहेगा।
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