जब ग्वालियर में कैलाश खेर के सामने टूटे सारे बैरिकेड्स, बीच में ही रुक गया सुरों का कारवां

Post

News India Live, Digital Desk : संगीत की महफ़िल का असली आनंद तब आता है जब गायक और श्रोता एक सुर में बंधे हों। लेकिन कई बार प्रशंसकों का अति-उत्साह और 'दीवानगी' उस कलाकार के लिए परेशानी का सबब बन जाती है। कुछ ऐसा ही नज़ारा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में देखने को मिला, जहाँ दिग्गज सूफी गायक कैलाश खेर के लाइव कॉन्सर्ट के दौरान जो हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया।

ग्वालियर में आयोजित एक कार्यक्रम में कैलाश खेर अपनी आवाज़ का जादू बिखेर रहे थे, कि अचानक भीड़ इतनी बेकाबू हो गई कि सुरक्षा व्यवस्था के तमाम दावे धरे के धरे रह गए। लोग बैरिकेड्स फांदकर स्टेज की ओर भागने लगे।

जब भक्ति और शांति की जगह शोर ने ले ली
कैलाश खेर हमेशा से अपने फैन्स के प्यार को सर आँखों पर रखते हैं, लेकिन इस बार सुरक्षा की सीमाएँ टूट चुकी थीं। जब लोग बैरिकेड्स तोड़कर मंच के बिल्कुल करीब पहुँच गए, तो न केवल व्यवस्था बिगड़ी बल्कि सिंगर की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए। कैलाश खेर को यह व्यवहार रास नहीं आया और उन्होंने तुरंत अपना गाना रोक दिया।

उनका कहना साफ था कि अनुशासन के बिना संगीत का लुत्फ़ नहीं लिया जा सकता। मंच पर उमड़ती भीड़ को देख उन्होंने कड़ी चेतावनी दी और लोगों से पीछे हटने की अपील की। सिंगर के चेहेर पर नाराजगी और सुरक्षा को लेकर चिंता साफ देखी जा सकती थी।

सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक?
इस घटना के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े इवेंट्स में जब हज़ारों की संख्या में लोग जमा होते हैं, तो बैरिकेडिंग को इतना मज़बूत क्यों नहीं रखा जाता कि लोग उसे तोड़ न पाएं? क्या यह आयोजकों की ढिलाई है या भीड़ का बिगड़ता स्वभाव? कैलाश खेर ने मंच से लोगों को समझाते हुए कहा कि कलाकार के सम्मान और उसकी स्पेस का ध्यान रखना फैन्स की भी जिम्मेदारी है।

हमें सोचने की ज़रूरत है
लाइव शोज का असली मकसद खुशियाँ बांटना होता है। लेकिन मंच तक पहुँचने की होड़ में या सेल्फी लेने की दीवानगी में जब लोग अफरा-तफरी मचाते हैं, तो बड़ा हादसा होने का डर रहता है। ग्वालियर में जो हुआ वह सबक है उन सभी फैन्स के लिए जो 'इमोशनल' होकर नियम कानून ताक पर रख देते हैं।

कैलाश खेर के शो को भले ही कुछ देर के लिए रोकना पड़ा हो, लेकिन उनकी फटकार ने एक बार फिर याद दिला दिया कि सभ्यता और संस्कृति सिर्फ़ उनके गीतों में नहीं, बल्कि हमारी व्यवहार में भी होनी चाहिए।

--Advertisement--