Rajasthan Politics : 1991 के उस कानून का क्या, जो ऐसे विवादों को रोकता है? गहलोत ने RSS प्रमुख से पूछा सीधा सवाल

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News India Live, Digital Desk: अभी अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ है कि देश की सियासत में एक नई और बड़ी बहस छिड़ गई है - काशी और मथुरा की. और इस बहस की चिंगारी सुलगाई है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान ने, जिस पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने बहुत तीखी और कड़ी प्रतिक्रिया दी है.

अशोक गहलोत ने इस बयान को देश में 'नई आग' लगाने की कोशिश बताते हुए एक बड़ी चेतावनी दी है.

पहले समझिए, मोहन भागवत ने ऐसा क्या कहा?

दरअसल, हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को एक बड़ी सफलता बताया. लेकिन वो यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे इशारा करते हुए कहा कि ज्ञानवापी (काशी) और मथुरा जैसे मुद्दों को भी 'संवाद और आपसी सहमति' से हल किया जा सकता है.

उनके इस बयान को सीधे-सीधे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि RSS और उसके सहयोगी संगठन अब अयोध्या के बाद काशी और मथुरा के मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाएंगे.

क्यों भड़के अशोक गहलोत?

मोहन भागवत के इसी बयान पर अशोक गहलोत ने एक के बाद एक कई सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने कहा कि जब अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सुलझ चुका है और देश में शांति है, तो फिर से इन मुद्दों को हवा देने की क्या जरूरत है?

गहलोत ने सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा:

  • यह देश में नया तनाव पैदा करने की साजिश है: उन्होंने कहा, "मैं भागवत जी से पूछना चाहूंगा कि देश में शांति स्थापित होने के बाद अब वे नया तनाव क्यों पैदा करना चाहते हैं?"
  • यह चुनाव जीतने का 'खेल' है: गहलोत ने इसे राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं, तब-तब बीजेपी और RSS ध्रुवीकरण करने के लिए ऐसे धार्मिक मुद्दों को हवा देते हैं ताकि असली मुद्दों जैसे महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके.
  • 1991 के कानून का क्या होगा?: उन्होंने 'पूजा स्थल कानून 1991' (Places of Worship Act 1991) का भी जिक्र किया. उन्होंने याद दिलाया कि यह कानून इसीलिए बनाया गया था ताकि अयोध्या को छोड़कर, 15 अगस्त 1947 के दिन जो धार्मिक स्थल जिस रूप में था, वह वैसा ही रहेगा, ताकि भविष्य में कोई नया विवाद खड़ा न हो. गहलोत ने सवाल उठाया कि क्या अब इस कानून का कोई मतलब नहीं रह गया है?

साफ है, अशोक गहलोत का मानना है कि मोहन भागवत का यह बयान सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए एक राजनीतिक एजेंडा सेट करने की कोशिश है, जो देश की शांति के लिए खतरनाक हो सकता है.

यह पूरा मामला दिखाता है कि राम मंदिर के बाद, अब काशी और मथुरा का मुद्दा भारतीय राजनीति का नया केंद्र बनने जा रहा है, जिस पर आने वाले दिनों में और भी ज्यादा सियासी घमासान देखने को मिलेगा.

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