वेनेजुएला पर हमले के लिए मुझे किसी की इजाज़त नहीं चाहिए डोनाल्ड ट्रम्प के इस बयान से हिल गया वाशिंगटन

Post

News India Live, Digital Desk : अमेरिका की राजनीति में इस समय भूचाल आया हुआ है, और वजह हैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प। अपने बेबाक और सख्त फैसलों के लिए मशहूर ट्रम्प ने एक बार फिर ऐसा दावा कर दिया है जिससे न सिर्फ़ अमेरिका में बल्कि पूरी दुनिया में हलचल तेज हो गई है। मुद्दा जुड़ा है दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला से।

ट्रम्प ने साफ़ शब्दों में कह दिया है कि अगर वेनेजुएला पर मिलिट्री स्ट्राइक यानी सैन्य हमला करना हुआ, तो उन्हें अमेरिकी संसद (कांग्रेस) की मंजूरी का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है।

क्या है पूरा मामला?
अक्सर देखा जाता है कि किसी भी देश पर बड़े हमले या युद्ध छेड़ने से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति को कांग्रेस से अनुमति लेनी पड़ती है या कम से कम सलाह-मशविरा करना होता है। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प का अंदाज हमेशा से अलग रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि राष्ट्रपति के पास संविधान के तहत इतनी पावर है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर ऐसा फैसला खुद ले सकते हैं।

ट्रम्प के इस बयान को "वॉर पावर्स एक्ट" (War Powers Act) की एक नई व्याख्या के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने परोक्ष रूप से यह जता दिया है कि अगर उन्हें लगा कि अमेरिका के हितों को खतरा है, तो वे वेनेजुएला में सेना भेजने या हवाई हमला करने में संकोच नहीं करेंगे, और इसके लिए वाशिंगटन डीसी में लंबी-चौड़ी बहसों का इंतज़ार नहीं किया जाएगा।

कांग्रेस और राष्ट्रपति आमने-सामने
ट्रम्प के इस दावे ने अमेरिकी सीनेटरों और सांसदों को परेशान कर दिया है। डेमोक्रेटिक पार्टी और यहां तक कि कुछ रिपब्लिकन नेता भी मानते हैं कि युद्ध जैसे फैसले लेने का अधिकार सिर्फ एक आदमी के हाथ में नहीं होना चाहिए। उनका तर्क है कि संविधान के मुताबिक, 'युद्ध की घोषणा' करने का अधिकार कांग्रेस के पास है।

लेकिन ट्रम्प खेमे का तर्क है कि वेनेजुएला में हालात अगर बेकाबू होते हैं, या वहां मौजूद अमेरिकी नागरिकों को खतरा होता है, तो राष्ट्रपति के पास 'कमांडर-इन-चीफ' होने के नाते त्वरित कार्रवाई करने का पूरा अधिकार सुरक्षित है।

दुनिया की नजरें अमेरिका पर
वेनेजुएला और अमेरिका के रिश्ते पिछले काफी सालों से तल्ख रहे हैं। वहां के राजनीतिक संकट और तेल व्यापार को लेकर अमेरिका हमेशा सख्त रहा है। अब ट्रम्प के इस "दो-टूक" बयान ने यह इशारा कर दिया है कि अमेरिका अपनी विदेश नीति में आक्रामकता कम नहीं करेगा। अब देखना यह है कि क्या कांग्रेस इस पर कोई कानूनी पेच फंसाती है या ट्रम्प अपनी पावर का प्रदर्शन करते हैं।

फिलहाल, ट्रम्प के इस बयान ने दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या 2026 में कोई नया संघर्ष देखने को मिल सकता है?

--Advertisement--