छत्तीसगढ़ में हिंसा लाश को लेकर बवाल, प्रार्थना घर में लगाई आग भीड़ के हमले में एडिशनल SP समेत कई जवान लहूलुहान

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News India Live, Digital Desk : छत्तीसगढ़ का शांत समझा जाने वाला कांकेर (Kanker) जिला आज सुलग रहा है। बस्तर संभाग, जो अक्सर नक्सलियों की वजह से खबरों में रहता है, इस बार धर्म और रीति-रिवाजों की लड़ाई में जल उठा है। कांकेर के आमाबेड़ा (Amabeda) इलाके में दो समुदायों आदिवासी समाज और ईसाई धर्म मानने वाले लोगों—के बीच एक शव को दफनाने को लेकर ऐसा खूनी संघर्ष हुआ कि पूरा इलाका छावनी बन गया है।

हालात इतने बिगड़े कि गुस्साई भीड़ ने एक चर्च (प्रार्थना घर) को आग के हवाले कर दिया और बीच-बचाव करने आई पुलिस पर भी पथराव कर दिया। इस हिंसा में एक-दो नहीं, बल्कि 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं, जिनमें एडिशनल एसपी (ASP) भी शामिल हैं।

आखिर यह आग भड़की कैसे?
विवाद की जड़ एक "शव" है। मामला बड़े तेवड़ा गांव का है। यहाँ के सरपंच के पिता का तीन दिन पहले निधन हुआ था। मृतक का परिवार ईसाई धर्म को मानता था, जबकि गांव का बहुसंख्यक समाज आदिवासी परंपराओं पर चलता है।
विवाद तब शुरू हुआ जब सरपंच ने अपने पिता का शव गांव की जमीन (श्मशान) पर दफना दिया। आदिवासी समाज के लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि जब आपने धर्म बदल लिया है और हमारे रीति-रिवाजों को नहीं मानते, तो आप गांव की देवगुड़ी या श्मशान भूमि में शव नहीं दफना सकते।

शव को कब्र से निकाला, और फिर...
तीन दिन से चल रही तनातनी के बाद प्रशासन ने दखल दिया और बीच का रास्ता निकालते हुए दफनाए गए शव को दूसरी जगह शिफ्ट करने का फैसला किया। जैसे ही जेसीबी से शव को कब्र से बाहर निकाला गया (Exhume), वहां मौजूद एक पक्ष का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

देखते ही देखते हज़ारों की भीड़ जमा हो गई। हाथों में लाठी-डंडे और पत्थर लिए लोगों ने धावा बोल दिया। गुस्से में पागल भीड़ ने पास के एक चर्च (इबादतगाह) में तोड़फोड़ की और उसे आग लगा दी। धुएं का गुबार दूर-दूर तक दिखाई दे रहा था।

पुलिस वाले बने निशाना, फूट गए सिर
जब पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने की कोशिश की, तो भीड़ ने पुलिस को ही घेर लिया। चारों तरफ से पत्थरों की बारिश होने लगी। इस हमले में अंतागढ़ के एडिशनल एसपी खोमन सिन्हा, तहसीलदार और टीआई समेत करीब 20 जवान बुरी तरह जख्मी हो गए। कई पुलिसकर्मियों के सिर फट गए और वे खून से लथपथ नजर आए।

अभी क्या है हाल?
फिलहाल पूरा आमाबेड़ा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है।

  • सन्नाटा और दहशत: प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया है।
  • सख्ती: बस्तर रेंज के बड़े अधिकारी मौके पर कैंप कर रहे हैं। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।
  • संवेदनशीलता: चूंकि मामला दो समुदायों के बीच का है, इसलिए प्रशासन फूक-फूक कर कदम रख रहा है ताकि हिंसा और न भड़के।

सोचने वाली बात
यह घटना हमें झकझोर देती है। एक बुजुर्ग के अंतिम संस्कार के मुद्दे ने इतना विकराल रूप ले लिया कि हम इंसानियत भूल बैठे। धर्म और आस्था अपनी जगह है, लेकिन हिंसा और आगजनी किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती।

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