छत्तीसगढ़ में टला बड़ा हादसा बीजापुर में जमीन के नीचे छिपा था मौत का सामान,जवानों ने ऐन वक्त पर नाकाम की साजिश
News India Live, Digital Desk : छत्तीसगढ़ के बीहड़ जंगलों में आज (14 दिसंबर) का दिन सुरक्षाबलों के नाम रहा। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों को एक साथ दो मोर्चों पर झटका दिया है। एक तरफ जहां बीजापुर (Bijapur) में नक्सलियों की एक खौफनाक साजिश को नाकाम कर दिया गया, वहीं दूसरी तरफ गरियाबंद (Gariaband) में उनकी विचारधारा से तंग आकर दो नक्सलियों ने हथियार डाल दिए।
यह खबर न केवल जवानों के हौसले को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि अब 'लाल आतंक' की जड़ें कमजोर हो रही हैं। आइये आसान भाषा में जानते हैं कि आज जंगलों में असल में हुआ क्या।
बीजापुर: जमीन के नीचे बिछी थी मौत!
सबसे पहले बात करते हैं बीजापुर की, जो अक्सर नक्सली हमलों के लिए चर्चा में रहता है। यहाँ नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाने के लिए एक भयानक प्लान बनाया था। उन्होंने पगडंडियों और रास्तों पर IED (Improvised Explosive Device) यानी बम छिपा रखे थे। उनका इरादा था कि जब जवान सर्च ऑपरेशन पर निकलेंगे, तो विस्फोट होगा और उन्हें नुकसान पहुंचेगा।
लेकिन हमारे सतर्क जवानों (DRG और बस्तर फाइटर्स) की नजरों से कुछ नहीं बच सका। सर्चिंग के दौरान टीम ने बड़ी सावधानी से जमीन के नीचे दबे इन विस्फोटकों को न सिर्फ ढूंढा, बल्कि बम निरोधक दस्ता (BDS) की मदद से उन्हें डिफ्यूज (नष्ट) भी कर दिया। अगर समय रहते ये बम न मिलते, तो एक बड़ा हादसा हो सकता था। सोचिए, जवानों की सूझबूझ ने आज कितनी जानें बचा लीं।
गरियाबंद: "अब और नहीं लड़ेंगे हम"
बीजापुर में जहाँ बारूद मिला, वहीं गरियाबंद से एक सुकून देने वाली खबर आई। यहाँ दो इनामी या सक्रिय नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता हमेशा के लिए छोड़ दिया। उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण (Surrender) कर दिया।
अक्सर देखा गया है कि नक्सली अब अपने बड़े नेताओं के शोषण और खोखली विचारधारा से परेशान हो रहे हैं। दूसरी तरफ, सरकार की पुनर्वास नीति (जैसे लोन वर्राटू अभियान) उन्हें एक नई और इज्जतदार जिंदगी का वादा करती है। इन दोनों नक्सलियों ने भी जंगल की कठिनाइयों को छोड़कर, समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। पुलिस अधिकारियों ने इनका स्वागत किया और सरकारी योजनाओं का लाभ देने का भरोसा दिलाया।
क्या हैं इसके मायने?
ये दो घटनाएं एक साजिश का नाकाम होना और दूसरा सरेंडर साफ़ इशारा करती हैं कि सुरक्षाबलों का दबाव काम कर रहा है। बीजापुर में बम मिलना बताता है कि नक्सली बौखलाए हुए हैं और छिपकर वार करना चाहते हैं। लेकिन गरियाबंद में सरेंडर बताता है कि उनके अपने साथी ही अब उनका साथ छोड़ रहे हैं।
फिलहाल पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। सुरक्षाबल यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि जंगलों में छिपे बाकी नक्सलियों को भी या तो सरेंडर करना पड़े या फिर कानून का सामना करना पड़े।
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