पंजाब के गाँवों ने दिया दिवाली जैसा तोहफा झाड़ू ने 70% सीटों पर जीत दर्ज कर रचा इतिहास

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News India Live, Digital Desk: साल 2025 का अंत आते-आते पंजाब की राजनीति में एक बड़ा धमाका हुआ है। जहाँ विरोधी पार्टियाँ सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रही थीं, वहीं पंजाब के गाँवों यानी 'पिंडों' की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। जिला परिषद और ब्लॉक समितियों के चुनावों (Punjab Local Body Elections) के जो नतीजे सामने आए हैं, वे किसी आंधी से कम नहीं हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने करीब 70% सीटों पर जीत हासिल करके विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया है।

यह जीत क्यों खास है?

राजनीति में कहा जाता है कि शहर का मिजाज और गाँव का मिजाज अलग होता है। लेकिन भगवंत मान (Bhagwant Mann) की सरकार ने यह साबित कर दिया है कि उनकी पकड़ ग्रास-रूट लेवल तक मजबूत हो चुकी है। अरविंद केजरीवाल ने इस जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह कोई मामूली जीत नहीं है, बल्कि पंजाब के लोगों का उनकी सरकार के कामों पर लगाया गया 'भरोसे का ठप्पा' है।

70 फीसदी सीटें जीतना यह दिखाता है कि लोग अब भी पुरानी पारंपरिक पार्टियों—अकाली दल और कांग्रेस—की तरफ लौटने के मूड में नहीं हैं।

विपक्ष का रोना और मान का करारा जवाब

चुनावों के नतीजे आते ही विपक्ष ने वही पुराना राग अलापना शुरू कर दिया— "धक्केशाही हुई है" (जोर-जबरदस्ती)। कांग्रेस और अकाली दल ने आरोप लगाया कि सरकारी मशीनरी का गलत इस्तेमाल हुआ है।

लेकिन इस पर मुख्यमंत्री भगवंत मान का जवाब सुनने लायक था। उन्होंने बड़े ही देसी अंदाज और तर्कों के साथ विपक्ष को चुप कराया। उन्होंने कहा, "भाई, अगर हम धांधली करते या जबरदस्ती करते, तो हमारे कई उम्मीदवार 10, 15 या 20 वोटों के मामूली अंतर से क्यों हारते? अगर 'धक्का' ही करना होता, तो हम वो सीटें भी अपनी झोली में डाल लेते।" यह तर्क लोगों को काफी पसंद आ रहा है क्योंकि आंकड़े झूठ नहीं बोलते।

काम पर मिला वोट?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस 'क्लीन स्वीप' के पीछे मुफ़्त बिजली, मोहल्ला क्लीनिक और बिना सिफारिश (खर्ची-पर्ची) के दी गई सरकारी नौकरियां बड़ा फैक्टर हैं। गाँव का आदमी जब देखता है कि सरकार सीधे उसके फायदे की बात कर रही है, तो वोट इसी तरह एकतरफा पड़ता है। केजरीवाल ने साफ़ कहा कि यह जीत गुंडागर्दी की नहीं, बल्कि पिछले कुछ सालों में किए गए सेवा कार्यों की जीत है।

आगे क्या?

इन नतीजों ने पंजाब की राजनीति में यह साफ संदेश दे दिया है कि फ़िलहाल आम आदमी पार्टी का कोई मजबूत विकल्प खड़ा नहीं हो पाया है। विपक्षी पार्टियों को अब ड्राइंग रूम छोड़कर धूप में निकलना पड़ेगा, नहीं तो आने वाले विधानसभा चुनावों में उनका 'वनवास' और लंबा हो सकता है।

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