Uttar Pradesh : छंगुर बाबा समेत कई ठिकानों पर बड़े छापे लालच और जबरन धर्म परिवर्तन के जाल पर ईडी का शिकंजा

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News India Live, Digital Desk:  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश भर में धर्म परिवर्तन के एक बड़े कथित रैकेट के खिलाफ अपनी जांच को तेज़ करते हुए कई अहम स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापे मारे हैं। उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर और अलीगढ़ से लेकर मुंबई तक फैले ये छापे, हवाला के जरिए होने वाले धनशोधन और लोगों को लालच देकर धर्मांतरण करवाने के मामले में हुए हैं।

इस मामले का केंद्र बिंदु मोहम्मद उमर गौतम है, जिस पर बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का एक संगठित रैकेट चलाने का आरोप है। ईडी की जांच से एक चौंकाने वाली बात सामने आई है: कथित तौर पर 'छंगुर बाबा' के नाम से पहचाने जाने वाले हसमुख राव ने भी इस रैकेट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि हसमुख राव ने, जो कभी हिंदू संत के रूप में पहचाने जाते थे, इस्लाम धर्म अपनाने के बाद उमर गौतम के सिंडिकेट में शामिल होकर खुद भी धर्मांतरण में सक्रिय भूमिका निभाई। उन पर आरोप है कि उन्होंने मोहम्मद उमर गौतम के ट्रस्ट से धर्मांतरण गतिविधियों के लिए लगभग 50 लाख रुपये भी प्राप्त किए थे।

जांच एजेंसी को शक है कि यह धर्मांतरण रैकेट विदेशों, विशेष रूप से खाड़ी देशों जैसे दुबई और सऊदी अरब से प्राप्त पैसों से संचालित हो रहा था। यहां तक कि इस रैकेट के तार कथित तौर पर पाकिस्तान के कुछ व्यक्तियों और संगठनों से भी जुड़े पाए गए हैं, जिनमें गुलाम मुस्तफा नामक व्यक्ति का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। ये धनराशि आमतौर पर हवाला मार्गों के जरिए भारत भेजी जाती थी ताकि अधिकारियों की नजर से बचा जा सके।

यह गिरोह मुख्य रूप से कमजोर और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को निशाना बनाता था। विशेष रूप से मूक-बधिर छात्रों और ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को प्रलोभन दिया जाता था। उन्हें नौकरी, बेहतर भविष्य, विवाह या वित्तीय सहायता का वादा करके धर्म परिवर्तन के लिए राजी किया जाता था। ईडी का यह कदम उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) द्वारा दायर एक प्राथमिकी के बाद आया है, जिसमें जबरन धर्मांतरण और अवैध गतिविधियों के आरोप लगाए गए थे।

इस मामले में पहले भी कुछ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें मोहम्मद उमर गौतम और काजी जहांगीर आलम प्रमुख हैं। ईडी ने पहले भी इनकी कुछ संपत्तियां जब्त की थीं, क्योंकि उनका मानना था कि इन संपत्तियों को अवैध रूप से धर्मांतरण से प्राप्त धन से खरीदा गया था। इस नए दौर के छापों से जांचकर्ताओं को इस व्यापक धर्मांतरण रैकेट से जुड़े और सबूत और धन के स्रोत का पता चलने की उम्मीद है, ताकि इस पूरे नेटवर्क को उजागर किया जा सके।

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