Masik Shivratri : साल के आखिरी महीने में भोलेनाथ को मनाने का सबसे बड़ा मौका, पौष मासिक शिवरात्रि पर करें ये एक काम
News India Live, Digital Desk: साल 2025 अपने आखिरी पड़ाव पर है और सर्दियों का राजा 'पौष का महीना' (Paush Month) शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन पौष महीने की शिवरात्रि का अपना अलग ही महत्व है। इसे साल की विदाई और नए साल की सुख-समृद्धि की कामना के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
अगर आप भगवान शिव के पक्के भक्त हैं और हर महीने शिवरात्रि का व्रत रखते हैं, या फिर इस बार पहली बार व्रत शुरू करने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत काम की है।
कब है पौष मासिक शिवरात्रि 2025? (सही तारीख)
दोस्तों, पंचांग के हिसाब से पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि इस बार 18 और 19 दिसंबर के आसपास पड़ने की संभावना है (क्योंकि आज 5 दिसंबर से कृष्ण पक्ष शुरू हुआ है, तो चतुर्दशी लगभग 13-14 दिन बाद आएगी)।
आमतौर पर शिवरात्रि का व्रत उस दिन रखा जाता है जिस दिन मध्यरात्रि (Midnight) यानी निशिता काल में चतुर्दशी तिथि मौजूद हो। इसलिए अपनी डायरी में तारीख नोट कर लें और स्थानीय पंचांग जरूर देख लें।
मासिक शिवरात्रि क्यों है इतनी खास?
माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। जो लोग साल की 'महाशिवरात्रि' (Maha Shivratri) का इंतजार नहीं कर सकते, उनके लिए हर महीने की यह शिवरात्रि किसी वरदान से कम नहीं है।
कहते हैं पौष की ठंडी रातों में जो भक्त जागकर महादेव का अभिषेक करता है, उसके जीवन से अकाल मृत्यु का भय और बीमारियां दूर हो जाती हैं।
पूजा का शुभ समय (Muhurat)
शिवजी की पूजा में 'समय' का बहुत महत्व है। शिवरात्रि की असली पूजा दिन में नहीं, बल्कि रात को (प्रदोष काल या निशिता काल) में होती है।
- प्रदोष काल: सूर्यास्त के तुरंत बाद का समय (शाम 5:30 से 7:30 के बीच) उत्तम होता है।
- निशिता काल: रात के 11:45 से 12:45 के बीच का समय (यह सबसे पावरफुल समय माना जाता है, जब शिव तत्व सबसे ज्यादा सक्रिय होता है)।
पूजा की सरल विधि (Step-by-Step)
- सुबह की शुरुआत: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- अभिषेक: शाम को मंदिर जाएं या घर पर ही शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके लिए कच्चा दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल (पंचामृत) का इस्तेमाल करें।
- सबसे जरूरी चीज: शिवलिंग पर तीन पत्तियों वाला बेलपत्र जरूर चढ़ाएं। भोलेनाथ सिर्फ एक लोटा जल और बेलपत्र से भी मान जाते हैं।
- भोग: सफेद चीज का भोग लगाएं, जैसे- खीर या बताशे।
- मंत्र: रात को पूजा करते समय 'महामृत्युंजय मंत्र' का 108 बार जाप करें।
यह गलती मत करना!
शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद (चंड) कभी खुद नहीं खाना चाहिए, इसे बांट देना चाहिए। और हां, तुलसी का पत्ता शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं।
तो दोस्तों, इस पौष मासिक शिवरात्रि पर अपनी भक्ति से महादेव को प्रसन्न करें और आने वाले नए साल के लिए ढेर सारी खुशियां मांग लें।
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