US Visa Alert : अगर आप भी करते हैं यह काम, तो अमेरिका में नहीं मिलेगी एंट्री, बाइडन सरकार का कड़ा फैसला
News India Live, Digital Desk : अमेरिका में नौकरी करना और वहां बसना लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स का सबसे बड़ा सपना होता है। खासकर H-1B वीज़ा की मांग भारत में हमेशा सबसे ज्यादा रहती है। लेकिन अगर आप या आपका कोई जानने वाला अमेरिका जाने की तैयारी कर रहा है, तो आपको अमेरिकी सरकार के इस नए और सख्त फैसले के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए। यह खबर उन लोगों के लिए एक अलार्म की तरह है जो जाने-अनजाने में कुछ ऐसी गतिविधियों का हिस्सा हैं, जिसे अमेरिका अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
क्या है नया नियम?
अमेरिका ने फैसला किया है कि अब वह उन लोगों के वीज़ा आवेदन (Visa Application) को बारीकी से जांचेगा और रिजेक्ट कर देगा, जो 'फ्री स्पीच' यानी बोलने की आज़ादी को दबाने का काम करते हैं। आसान भाषा में कहें तो, अगर कोई व्यक्ति किसी सरकार या संस्था के इशारे पर लोगों की आवाज दबाने, जानकारी छुपाने या किसी तरह की सेंसरशिप (Censorship) लागू करने में शामिल पाया गया, तो अमेरिका उसे वीज़ा नहीं देगा।
अमेरिका के विदेश विभाग ने साफ कर दिया है कि वे अपनी वीज़ा पालिसी में 'वीज़ा प्रतिबंध' (Visa Restriction) के दायरे को बढ़ा रहे हैं। इसका मतलब है कि अब H-1B जैसे वर्क वीज़ा हासिल करना सिर्फ आपके टेक्निकल स्किल्स पर निर्भर नहीं करेगा, बल्कि आपके पिछले काम और व्यवहार पर भी निर्भर करेगा।
किन लोगों पर गिरेगी गाज?
यह नियम मुख्य रूप से उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जो टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल करते हैं। आज के डिजिटल दौर में, कई ऐसे सॉफ्टवेयर्स या टूल्स बनाए जाते हैं जिनका इस्तेमाल सरकारें अपने आलोचकों, पत्रकारों या सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करने या उनका मुंह बंद कराने के लिए करती हैं।
अगर कोई भी आवेदक:
- निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल करता है: जो स्पायवेयर (Spyware) या जासूसी तकनीक के ज़रिए लोगों की निजता का हनन करता है।
- आवाज़ दबाने में मदद करता है: जो ऐसे काम में शामिल है जिससे धार्मिक, सामाजिक या राजनीतिक आवाजों को रोका जाता है।
- परिवार पर भी असर: सबसे बड़ी बात यह है कि इस पालिसी के तहत न केवल उस व्यक्ति को, बल्कि उसके परिवार (जीवनसाथी और बच्चों) को भी वीज़ा देने से मना किया जा सकता है।
अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है?
अमेरिका खुद को दुनिया में लोकतंत्र और मानवाधिकारों का रक्षक मानता है। उनका मानना है कि कई देशों में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके लोगों के मौलिक अधिकारों को कुचला जा रहा है। इसलिए, अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जो लोग ऐसे "दमनकारी कामों" में मदद कर रहे हैं, उन्हें अमेरिकी धरती पर जगह न मिले।
इसका आप पर क्या असर होगा?
अगर आप एक आम IT प्रोफेशनल हैं जो अपनी कंपनी के लिए कोडिंग या डेवलपमेंट का काम कर रहे हैं और उसका राजनीति या सेंसरशिप से कोई लेना-देना नहीं है, तो आपको डरने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन, अगर आप किसी ऐसी एजेंसी या प्रोजेक्ट से जुड़े हैं जिसका काम इंटरनेट को कंट्रोल करना, वेबसाइट्स ब्लॉक करना या लोगों की जासूसी करना है, तो आपके H-1B वीज़ा के सपने पर पानी फिर सकता है।
यह नियम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत वह चाहता है कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल दुनिया को जोड़ने के लिए हो, न कि लोगों को डराने या चुप कराने के लिए।
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