US Stopgap Funding Bill : जब 43 दिनों के लिए बंद हो गया था अमेरिका जानिए क्यों थमा था दुनिया के सबसे ताकतवर देश का पहिया
News India Live, Digital Desk: कल्पना कीजिए कि एक दिन आप सोकर उठें और पता चले कि आपके देश की सरकार ने काम करना बंद कर दिया है। सरकारी दफ्तरों पर ताले लटक गए हैं और लाखों कर्मचारियों को नहीं पता कि उनकी अगली सैलरी कब आएगी। यह कोई कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है जो अमेरिका ने झेली है। देश के इतिहास का सबसे लंबा सरकारी शटडाउन पूरे 43 दिनों तक चला, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को रोक दिया था।
आखिरकार, 12 नवंबर, 2025 को यह गतिरोध खत्म हुआ जब अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों - हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट - ने सरकार को दोबारा चलाने के लिए एक फंडिंग बिल पास किया। इस बिल पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्ताक्षर के साथ ही 43 दिनों से बंद पड़ा सरकारी कामकाज फिर से शुरू हो सका।
पर, ये सब हुआ क्यों था?
इस पूरे संकट की जड़ सरकार चलाने के लिए जरूरी बजट पर राजनीतिक सहमति का न बन पाना था। विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा था 'अफोर्डेबल केयर एक्ट' (ACA), जिसे 'ओबामाकेयर' के नाम से भी जाना जाता है। इस कानून के तहत लाखों अमेरिकियों को स्वास्थ्य बीमा खरीदने में मदद के लिए सब्सिडी (टैक्स छूट) दी जाती है। डेमोक्रेटिक पार्टी इन सब्सिडी को जारी रखना चाहती थी, जबकि रिपब्लिकन पार्टी इसके पक्ष में नहीं थी। इसी खींचतान में बजट पास नहीं हो पाया और सरकार को अपने दरवाजे बंद करने पड़े, जिसे 'शटडाउन' कहते हैं।
आम लोगों पर क्या बीती?
नेताओं की इस लड़ाई का सीधा और सबसे बुरा असर आम अमेरिकी नागरिकों और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा।
- लाखों कर्मचारी बेहाल: करीब 6,50,000 सरकारी कर्मचारियों को बिना বেতন के जबरन छुट्टी (फरलो) पर भेज दिया गया। वहीं, जरूरी सेवाओं से जुड़े करीब 6,00,000 कर्मचारी बिना पगार के काम करने को मजबूर थे।
- अर्थव्यवस्था को अरबों का झटका: कांग्रेशनल बजट ऑफिस (CBO) के अनुसार, 2018-19 में हुए पिछले बड़े शटडाउन से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 11 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इस बार भी नुकसान का आंकड़ा अरबों में रहने का अनुमान है।
- ठप्प पड़ीं सेवाएं: एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर जैसे जरूरी कर्मचारियों की कमी के कारण हजारों उड़ानें या तो रद्द हुईं या घंटों लेट हुईं। इसका असर खाद्य सहायता कार्यक्रम पर निर्भर लगभग 4 करोड़ 20 लाख लोगों पर भी पड़ा।
कैसे निकला समाधान?
हफ्तों तक चली अनिश्चितता और आम लोगों की बढ़ती परेशानियों के दबाव में, आखिरकार दोनों पार्टियों के बीच एक अस्थायी समझौते पर सहमति बनी। संसद ने एक बिल पास किया जो ज़्यादातर सरकारी विभागों को 30 जनवरी तक काम करने के लिए फंडिंग देगा। इस बिल की सबसे बड़ी बात यह थी कि इसमें शटडाउन से प्रभावित सभी कर्मचारियों को उनकी रुकी हुई सैलरी (बैक पे) देने की गारंटी दी गई, जिसके बाद लाखों परिवारों ने राहत की सांस ली।
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