UP Crime : दवाई की आड़ में नशे का सौदागर अमित सिंह और आलोक सिंह गिरफ्तार
News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में जिस कफ सिरप घोटाले ने हंगामा मचा रखा था, उसमें आज एक बहुत बड़ा एक्शन देखने को मिला है। जांच एजेंसियों ने सिंडिकेट की कमर तोड़ते हुए दो मुख्य आरोपियों आलोक सिंह और अमित सिंह उर्फ 'टैट' को गिरफ्तार कर लिया है। इतना ही नहीं, अदालत ने उन्हें कस्टडी रिमांड (Custody Remand) पर भेज दिया है।
अब असली कहानी यहां से शुरू होती है। ये दोनों वो किरदार हैं, जिनके पास इस पूरे अवैध कारोबार की 'चाभी' मानी जा रही है। आइए आसान लफ्जों में समझते हैं कि इनके पकड़े जाने का मतलब क्या है और अब आगे क्या बड़ा होने वाला है।
1. आखिर कौन हैं ये दोनों?
आलोक सिंह और अमित सिंह कोई आम दवा कारोबारी नहीं हैं। जांच एजेंसियों का मानना है कि ये अवैध कफ सिरप (Illicit Cough Syrup) के उस काले साम्राज्य के मुख्य खिलाड़ियों में से हैं, जो युवाओं की नसें खोखली कर रहा था। अमित सिंह 'टैट' का नाम तो दवा मंडी और तस्करों के बीच कोडवर्ड की तरह चलता था। इन पर आरोप है कि ये दवा के नाम पर नशे की खेप तैयार करवाते थे और उसे अवैध तरीके से खपाते थे।
2. पुलिस रिमांड में 'तोते' की तरह बोलेंगे!
इनकी गिरफ्तारी से ज्यादा डर अब इनकी 'कस्टडी' से फैला हुआ है। पुलिस और ईडी को इनसे पूछताछ के लिए वक्त मिल गया है। रिमांड का सीधा मतलब है कड़ी पूछताछ।
अब सवाल दागे जाएंगे:
- सिरप कहां बनता था?
- पैसा किसके पास जाता था?
- क्या कुछ बड़े अधिकारी या रसूखदार लोग भी इसमें हिस्सेदार थे?
जानकार मान रहे हैं कि अगले कुछ दिनों में इनके बयानों के आधार पर यूपी में कुछ और बड़ी गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
3. डायरी और मोबाइल में छिपे राज
छापेमारी के दौरान इनके पास से कुछ दस्तावेज, डायरियां और डिजिटल सबूत मिले हैं। इन डायरियों में कोड में लिखे हिसाब-किताब की जांच की जा रही है। किसको कितना 'कमीशन' दिया गया और खेप कैसे बॉर्डर पार कराई गई ये सब वो राज हैं जो अब बाहर आएंगे। इन दोनों का मुंह खुलना उन तमाम लोगों के लिए खतरे की घंटी है, जो अब तक परदे के पीछे से खेल रहे थे।
4. राडार पर कई बड़े नाम
कहा जा रहा है कि यह नेटवर्क सिर्फ लखनऊ या वाराणसी तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके तार दूसरे राज्यों और नेपाल-बांग्लादेश बॉर्डर तक जुड़े थे। आलोक और अमित तो बस मोहरे हो सकते हैं, असली खिलाड़ी अभी भी छिपे हो सकते हैं। ईडी (ED) अब इसी 'मनी ट्रेल' (Money Trail) को पकड़ने में जुटी है। पैसा कैश में कहां गया और प्रॉपर्टी में कहां लगा, इसकी परतें अब उधड़ेंगी।
5. दहशत में माफिया
कल तक जो लोग इस धंधे से नोटों की गड्डियां छाप रहे थे, आज उनमें दहशत है। इन दोनों की गिरफ्तारी ने यह संदेश दे दिया है कि कानून की पहुंच उन तक हो चुकी है। यह कार्रवाई सिर्फ इन दो लोगों तक नहीं रुकेगी, बल्कि इस सिंडिकेट की पूरी जड़ खोदी जाएगी।
--Advertisement--