रांची में विदाई समारोह के जश्न में फंसी ट्रेनें रिटायरमेंट पार्टी के चलते यात्रियों को उठानी पड़ी परेशानी
News India Live, Digital Desk : हम सभी जानते हैं कि सरकारी नौकरी में रिटायरमेंट (Retirement) का दिन कितना भावुक और खास होता है। पूरी ज़िंदगी पटरियों की सेवा करने के बाद जब कोई रेलवे कर्मचारी विदा होता है, तो उसके साथी उसे शानदार विदाई देना चाहते हैं। फूल-मालाएं, ढोल-नगाड़े और थोड़ा सा जश्न तो बनता है।
लेकिन, जरा सोचिए, अगर इसी जश्न के चक्कर में आम यात्रियों की ट्रेनें लेट होने लगें या सिग्नल पर खड़ी रह जाएं, तो कैसा लगेगा? कुछ ऐसा ही वाकया रांची रेल मंडल (Ranchi Railway Division) में देखने को मिला है, जिसने मुसाफिरों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, महीने की आखिरी तारीखों के आसपास अक्सर रेलवे में कई कर्मचारी रिटायर होते हैं। रांची रेलवे के दफ्तरों और स्टेशन परिसर में भी अपने वरिष्ठ साथियों के रिटायरमेंट पर एक सम्मान समारोह और विदाई का कार्यक्रम रखा गया था।
माहौल एकदम खुशनुमा था, लोग अपने साथियों को गले लगा रहे थे, फोटो खींच रहे थे और उनकी उपलब्धियों को याद कर रहे थे। यह सब तो ठीक था, लेकिन खबर है कि इस 'रिटायरमेंट सेलिब्रेशन' (Retirement Celebration) की वजह से रेलवे के कुछ जरूरी कामकाज और ट्रेन सेवाओं पर असर पड़ गया।
यात्री हुए हलकान
स्टेशन पर मौजूद यात्रियों और ट्रेन का इंतज़ार कर रहे लोगों को जब यह पता चला कि उनकी गाड़ी की देरी या परिचालन में दिक्कत किसी तकनीकी खराबी से नहीं, बल्कि एक कार्यक्रम की वजह से हो सकती है, तो उनका गुस्सा होना लाज़मी था।
ट्रेन सेवाएं प्रभावित होने का मतलब है सैकड़ों लोगों का समय बर्बाद होना। किसी को आगे की फ्लाइट पकड़नी होती है, तो किसी को ऑफिस पहुंचना होता है। ऐसे में जब 'सेलिब्रेशन' की वजह से सिस्टम धीमा पड़ जाए, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।
भावुकता बनाम जिम्मेदारी
इसमें कोई शक नहीं कि जो लोग 30-35 साल रेलवे को देते हैं, उनका सम्मान होना चाहिए। रेलवे एक परिवार की तरह काम करता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे कार्यक्रमों के लिए कोई ऐसा समय या तरीका नहीं निकाला जा सकता जिससे ट्रेनों की आवाजाही पर कोई असर न पड़े?
यात्री यही चाहते हैं कि विदाई जरूर हो, ढोल भी बजें, लेकिन ट्रेनें अपने समय पर दौड़ती रहें। आखिर रेलवे की पहली प्राथमिकता तो उसका 'पैसेंजर' ही है न!
खैर, अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर क्या संज्ञान लेता है, ताकि भविष्य में जश्न और ड्यूटी के बीच सही तालमेल बना रहे और आम जनता को परेशानी न हो।
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