TikTok बैन नहीं होगा! लेकिन अमेरिका ने चली ऐसी चाल कि चीन देखता रह गया
TikTok को लेकर अमेरिका और चीन के बीच की लड़ाई अब एक नए और दिलचस्प मोड़ पर पहुँच गई है। सालों से अमेरिका को यह डर सताता रहा है कि चीन की सरकार TikTok के ज़रिए उसके नागरिकों की जासूसी कर सकती है या फिर अपने हिसाब से वीडियो दिखाकर लोगों की सोच को प्रभावित कर सकती है।
इस समस्या से निपटने के लिए, बैन लगाने की बजाय अमेरिकी सरकार (व्हाइट हाउस) एक ऐसा "गुप्त समझौता" कर रही है, जिससे TikTok चलेगा भी और उसका पूरा कंट्रोल भी अमेरिका के हाथों में आ जाएगा।
क्या है अमेरिका का 'मास्टरप्लान'?
यह कोई मामूली समझौता नहीं है। व्हाइट हाउस यह पक्का करना चाहता है कि TikTok की लगाम उसकी पेरेंट कंपनी, चीन की बाइटडांस (ByteDance) के हाथों से निकलकर अमेरिका के पास आ जाए। इस डील की दो सबसे बड़ी और सबसे सख़्त शर्तें हैं:
1. बोर्ड पर अमेरिकी कंट्रोल:
इस डील का सबसे बड़ा हिस्सा है - TikTok के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स पर अमेरिका का कंट्रोल। इसका मतलब है कि कंपनी के बड़े और ज़रूरी फ़ैसले, जैसे कि डेटा का इस्तेमाल कैसे होगा या कंपनी कौन से नियम मानेगी, यह सब अमेरिकी निगरानी में तय किया जाएगा। चीन की बाइटडांस इसमें सीधे तौर पर कोई दखल नहीं दे पाएगी।
2. एल्गोरिदम पर अमेरिकी कंट्रोल:
यह इस डील की सबसे अहम शर्त है। TikTok का 'जादू' उसका एल्गोरिदम ही है, जो यह तय करता है कि आपको कौन सा वीडियो दिखेगा और कौन सा नहीं। अमेरिका को डर था कि चीन इस एल्गोरिदम का इस्तेमाल अपने प्रोपेगैंडा के लिए कर सकता है।
इसलिए, इस डील के तहत TikTok के एल्गोरिदम की जाँच और निगरानी का अधिकार भी अमेरिकी एजेंसियों के पास होगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि चीन अपनी मर्ज़ी से किसी वीडियो को वायरल या गायब नहीं करा सकेगा।
क्यों बैन नहीं करना चाहता अमेरिका?
साफ़ शब्दों में कहें तो, व्हाइट हाउस TikTok पर पूरी तरह से बैन लगाकर 10 करोड़ से ज़्यादा अमेरिकी यूज़र्स को नाराज़ नहीं करना चाहता। इसलिए वह एक ऐसा बीच का रास्ता निकाल रहा है, जिससे ऐप भी चलता रहे, लोगों का मनोरंजन भी होता रहे और अमेरिका का डेटा और राष्ट्रीय सुरक्षा भी सुरक्षित रहे।
यह समझौता टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला होगा, जहाँ एक देश किसी दूसरे देश की प्राइवेट ऐप पर इस हद तक कंट्रोल हासिल कर लेगा।
--Advertisement--