राजस्थान में प्लॉट खरीदने वालों सावधान अगर 90A नहीं हुआ, तो नहीं होगी रजिस्ट्री सरकार ने कसा शिकंजा
News India Live, Digital Desk : हर मिडिल क्लास आदमी का सपना होता है कि उसका अपना एक छोटा सा ही सही, लेकिन खुद का घर या प्लॉट हो। इसी सपने को पूरा करने के लिए हम पाई-पाई जोड़ते हैं। लेकिन अगर आप Rajasthan में, खासकर जयपुर या आस-पास के शहरों में प्लॉट खरीदने का प्लान बना रहे हैं, तो यह खबर आपको जरूर पढ़ लेनी चाहिए, वरना आपकी गाढ़ी कमाई फंस सकती है।
राजस्थान की Bhajanlal Sharma सरकार ने जमीनों के फर्जीवाड़े और अवैध कॉलोनियों को रोकने के लिए एक बहुत सख्त कदम उठाया है। खबर आ रही है कि अब सोसायटी के पट्टों (Society Patta) पर रजिस्ट्री होना लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है। सरकार ने साफ कह दिया है "नो 90A, नो रजिस्ट्री!"
आइए, एकदम आसान भाषा में समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और आपको प्लॉट लेते समय किन कागजों की जांच करनी है।
सरकार ने क्या रोक लगाई है?
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग (Registration & Stamps Department) ने एक आदेश जारी किया है, जिसने प्रॉपर्टी डीलरों की नींद उड़ा दी है। आदेश के मुताबिक, अब उन कॉलोनियों या प्लॉट्स की रजिस्ट्री (Sale Deed) नहीं होगी, जिनका लैंड कन्वर्जन (90A) नहीं हुआ है और जिनका ले-आउट प्लान (नक्शा) अप्रूव नहीं है।
अभी तक क्या होता था कि डीलर खेती की जमीन पर प्लॉट काटते थे और "सोसायटी का पट्टा" थमाकर रजिस्ट्री करवा देते थे। लेकिन अब सब-रजिस्ट्रार को सख्ती से कहा गया है कि बिना कन्वर्जन के कागजात देखे, रजिस्ट्री न करें।
यह '90A' आखिर है क्या बला?
आप सोच रहे होंगे कि ये 90A-90A क्या शोर मचा रखा है। चलिए, सरल शब्दों में बताते हैं:
ज्यादातर जमीनें "खेती" (Agricultural) के लिए होती हैं। अगर आप उस पर घर बनाना चाहते हैं या प्लॉटिंग करना चाहते हैं, तो उसे "अकृषि" (Non-Agricultural) यानी रिहायशी उपयोग के लिए बदलना पड़ता है। राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90A के तहत सरकार यह अनुमति देती है।
जब 90A हो जाता है, तभी वह जमीन कानूनी रूप से कॉलोनी बसाने लायक मानी जाती है। अगर डीलर ने 90A नहीं करवाया, तो वह कॉलोनी 'अवैध' मानी जाएगी।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकार का मानना है कि सोसाइटियों के नाम पर भारी खेल हो रहा है।
- नक्सों का अता-पता नहीं: कॉलोनियां बस जाती हैं, लेकिन वहां न सड़क का पता होता है, न पार्क का और न ही सुविधाओं का। बाद में जब लोग घर बनाते हैं, तो सड़क के लिए जगह ही नहीं बचती।
- राजस्व का नुकसान: खेती की जमीन बताकर प्लॉट बेचने से सरकार को टैक्स (स्टांप ड्यूटी) का नुकसान होता है।
- फर्जीवाड़ा: एक ही प्लॉट कई लोगों को बेचने के मामले भी सामने आते हैं।
सस्ते प्लॉट के चक्कर में न फंसें
अक्सर हम देखते हैं कि 'जेडीए अप्रूव्ड' (JDA Approved) प्लॉट महंगे होते हैं, तो हम सोसायटी वाले सस्ते प्लॉट की तरफ भागते हैं। प्रॉपर्टी डीलर कहते हैं "अरे सर, रजिस्ट्री हम करवा देंगे, टेंशन मत लो।"
लेकिन इस नए आदेश के बाद अब ऐसा नहीं होगा। अगर उस जमीन का लैंड यूज चेंज नहीं हुआ है और सेक्टर रोड का प्लान नहीं है, तो आपकी रजिस्ट्री रुक जाएगी। पैसा डीलर के पास फंस जाएगा और प्लॉट आपके नाम नहीं चढ़ेगा।
मेरी सलाह: "कागज देखो, फिर पैसा दो"
दोस्तों, सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। अगर कोई डीलर आपको प्लॉट दिखा रहा है, तो उससे सीधे पूछिए "भैया, क्या इस कॉलोनी का 90A हुआ है? क्या इसका नक्शा पास है?" अगर वो गोल-मोल जवाब दे, तो समझ जाइये कुछ गड़बड़ है।
अपने लाखों रुपये फंसाने से अच्छा है कि थोड़ी ज्यादा कीमत देकर साफ-सुथरी और अप्रूव्ड जमीन ही खरीदें। यह खबर अपने उन दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें जो जमीन खरीदने की सोच रहे हैं।
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