हज़ार टीचर होंगे इधर से उधर ,राजस्थान में हज़ारों स्कूल होंगे बंद, शिक्षा मंत्री ने दिए साफ़ संकेत

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News India Live, Digital Desk : राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों और हज़ारों शिक्षकों के लिए एक बहुत बड़ी ख़बर सामने आई है। राज्य का शिक्षा विभाग जल्द ही प्रदेश में एक बड़ा 'स्कूल मर्जर' यानी स्कूलों के एकीकरण का अभियान शुरू करने वाला है। इसका सीधा मतलब यह है कि कम छात्र संख्या वाले हज़ारों छोटे-छोटे सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा और उन्हें नज़दीक के बड़े स्कूलों में मिला दिया जाएगा।

इस बड़े फ़ैसले के बाद, प्रदेश के लगभग 17,000 शिक्षक-शिक्षिकाओं का अपनी मौजूदा जगह से दूसरी जगह तबादला (ट्रांसफर) होना लगभग तय माना जा रहा है।

यह संकेत खुद राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने दिए हैं, जिसके बाद शिक्षा विभाग में हलचल तेज़ हो गई है।

क्यों बंद किए जा रहे हैं ये स्कूल?

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस फ़ैसले के पीछे की वजह साफ़ करते हुए कहा कि प्रदेश में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहाँ छात्रों की संख्या तो बहुत कम है, लेकिन शिक्षक पूरे तैनात हैं।

  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: उन्होंने कहा, "कई स्कूलों में बच्चों की संख्या 10-15 ही है, लेकिन वहां 3-4 शिक्षक हैं। इससे न तो पढ़ाई का अच्छा माहौल बन पाता है और न ही संसाधनों का सही इस्तेमाल हो पाता है।"
  • संसाधनों का सही उपयोग: सरकार का मानना है कि इन छोटे स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने से बच्चों को बेहतर सुविधाएं जैसे- अच्छी बिल्डिंग, खेल का मैदान, लाइब्रेरी और ज़्यादा शिक्षक मिल पाएंगे।
  • शिक्षकों की कमी को दूर करना: इस मर्जर से जो शिक्षक सरप्लस (अतिरिक्त) होंगे, उन्हें उन बड़े स्कूलों में भेजा जाएगा जहाँ शिक्षकों की कमी है। इससे प्रदेश में शिक्षकों की कमी की समस्या को भी काफ़ी हद तक दूर किया जा सकेगा।

किन स्कूलों पर गिरेगी गाज?

शिक्षा विभाग ने फ़िलहाल यह साफ़ नहीं किया है कि कितने बच्चों से कम संख्या वाले स्कूल बंद होंगे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक:

  • शहरी इलाक़ों में 100-150 से कम नामांकन वाले स्कूल।
  • और ग्रामीण इलाक़ों में 50-60 से कम नामांकन वाले स्कूलों को मर्ज किया जा सकता है।

शिक्षकों में मची खलबली, क्या कहते हैं शिक्षक संघ?

सरकार के इस फ़ैसले की ख़बर आते ही प्रदेश के शिक्षकों में खलबली मच गई है। कई शिक्षक संघों ने इस फ़ैसले का विरोध करना भी शुरू कर दिया है। उनका तर्क है कि इससे ग्रामीण और दूर-दराज के बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर जाना पड़ेगा, जिससे उनका ड्रॉप-आउट रेट (स्कूल छोड़ने की दर) बढ़ सकता है।

हालांकि, शिक्षा मंत्री ने साफ़ कहा है कि यह फ़ैसला छात्रों और शिक्षा की गुणवत्ता के हित में है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।

यह पिछली वसुंधरा राजे सरकार के बाद प्रदेश में दूसरा सबसे बड़ा स्कूल मर्जर अभियान होगा। अब देखना यह है कि सरकार इस बड़े और चुनौतीपूर्ण फ़ैसले को ज़मीन पर कैसे उतारती है।

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