'इंटरनेशनल' नाम के मोह पर लगी रोक महाराष्ट्र सरकार ने क्यों लगाया स्कूलों पर ये अजीबोगरीब नियम?

Post

News India Live, Digital Desk: स्कूल का नाम कई बार उसके स्तर और उसकी गुणवत्ता का सूचक बन जाता है। आजकल, भारत में कई स्कूल अपने नाम के साथ 'ग्लोबल' (Global) या 'इंटरनेशनल' (International) जैसे शब्द इस्तेमाल करने लगे हैं, जिससे वे ज़्यादा आकर्षित दिखें और पेरेंट्स (Parents) भी उनसे प्रभावित हों। लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने इस पर एक कड़ा और महत्वपूर्ण नियम (new rule) बना दिया है, जिसका असर महाराष्ट्र (Maharashtra) के शिक्षा क्षेत्र (education sector) पर साफ तौर पर दिखाई देगा। सरकार ने कहा है कि अब स्कूलों के नाम के साथ 'ग्लोबल' या 'इंटरनेशनल' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।

क्यों लगाया महाराष्ट्र सरकार ने यह बैन?

इस नियम को लाने के पीछे महाराष्ट्र सरकार की कुछ ख़ास सोच हो सकती है:

  • भ्रम की स्थिति: सरकार का मानना है कि 'ग्लोबल' या 'इंटरनेशनल' जैसे शब्द बिना किसी तय मानक (standard) के इस्तेमाल किए जाने से अभिभावकों में भ्रम (confusion) पैदा होता है। कई बार ये शब्द सिर्फ मार्केटिंग टूल (marketing tool) होते हैं और स्कूल वास्तव में अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रदान नहीं कर पाते।
  • शिक्षा में एकरूपता: ऐसे शब्दों का अनियंत्रित उपयोग रोकने से शिक्षा की गुणवत्ता और स्तर को लेकर एकरूपता लाई जा सकती है। इससे सरकार को भी स्कूलों के विनियमन (regulation) में आसानी होगी।
  • प्रमाणिकता पर ज़ोर: सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अगर कोई स्कूल वाकई अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा दे रहा है, तो वह प्रमाणिकता के साथ ऐसा दावा करे, न कि सिर्फ़ नाम के दम पर।

इस नए नियम से अब कई स्कूलों को अपने नाम में बदलाव (name change) करना पड़ेगा। इसका सीधा असर उन अभिभावकों पर भी पड़ेगा जो अपने बच्चों को इन नामों वाले स्कूलों में अच्छी शिक्षा की उम्मीद में भेजते थे। अब उन्हें स्कूल की वास्तविक शिक्षा, पाठ्यक्रम (curriculum) और सुविधाओं पर ज़्यादा ध्यान देना होगा, न कि सिर्फ़ उनके फैंसी नाम पर।

छात्रों और पेरेंट्स पर क्या होगा असर?

हालांकि इस नियम से शिक्षा की गुणवत्ता सीधे तौर पर नहीं बदलती, लेकिन यह पेरेंट्स को स्कूल का चुनाव करते समय ज़्यादा सतर्क और चौकन्ना रहने पर मजबूर करेगा। अब उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे केवल नाम से नहीं, बल्कि स्कूल की असलियत जानकर ही अपने बच्चे का दाखिला कराएं। यह फैसला महाराष्ट्र में शिक्षा के मानकीकरण (standardization of education) की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

--Advertisement--