बिहार के मास्साब अब पढ़ाएंगे अपने घर के पास सरकार ला रही है नई पॉलिसी
News India Live, Digital Desk : अगर आप बिहार में शिक्षक (Teacher) हैं और पिछले कई दिनों से ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर तनाव में थे, तो अब रिलैक्स हो जाइए। आपके लिए एक बहुत अच्छी खबर आई है। इसे आप सरकार की तरफ से 'नए साल का तोहफा' मान सकते हैं।
बिहार के करीब 6 लाख शिक्षकों की नींद हराम करने वाली ‘मनमाने ट्रांसफर’ (Arbitrary Transfers) की समस्या का अब पक्का इलाज होने वाला है। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने साफ-साफ कह दिया है कि पुरानी उथल-पुथल को भूल जाइए, अगले एक महीने में ऐसी नीति आएगी जो शिक्षकों के चेहरे पर मुस्कान ला देगी।
आखिर माजरा क्या है?
पिछले कुछ समय से बिहार में सक्षमता परीक्षा (Sakshamta Pariksha) और उसके आधार पर होने वाले ट्रांसफर को लेकर बवाल मचा हुआ था। शिक्षकों को डर था कि उन्हें घर से दूर किसी भी अनजान जगह फेंक दिया जाएगा। खासकर महिला शिक्षक और दिव्यांग शिक्षक सबसे ज्यादा परेशान थे। इसी को देखते हुए, हाईकोर्ट की रोक के बाद सरकार ने पुरानी लिस्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
अब शिक्षा मंत्री ने गुरुवार को भरोसा दिलाया है कि एक महीने के अंदर (Within one month) नई ट्रांसफर नीति तैयार हो जाएगी। और सबसे बड़ी बात—यह नीति "सजा" जैसी नहीं होगी, बल्कि "सुविधा" जैसी होगी।
मनमानी नहीं, मर्जी चलेगी
सरकार ने यह बात मानी है कि पुराने नियमों में कुछ खामियां थीं। मंत्री जी का कहना है कि शिक्षकों को, खासकर जिन्होंने सक्षमता परीक्षा पास कर ली है, उन्हें उनकी पसंद की जगह (Choice Posting) मिलनी चाहिए। मतलब साफ है, अब अफसरों की मनमानी से आपको यहाँ-वहाँ नहीं भेजा जाएगा।
नया साल, नई उम्मीद
जनवरी के पहले हफ्ते तक चीजें और साफ हो जाएंगी। सरकार की मंशा है कि शिक्षक टेंशन-फ्री होकर पढ़ाएं, न कि अपना बैग पैक करने की चिंता में रहे। जो शिक्षक बीमार हैं या जो महिलाएं अपने परिवार से दूर नहीं जाना चाहतीं, उनके लिए नियमों में बड़ी ढील (Relaxation) दी जाएगी।
अभी जो नई कमिटी बनी है, वो पुरानी गड़बड़ियों को ठीक कर रही है। मतलब साफ है आने वाला साल बिहार के नियोजित और नियमित शिक्षकों के लिए 'अच्छे दिन' लेकर आ रहा है। पोस्टिंग के लिए अब आपको सिफारिश नहीं, बस अपनी "च्वाइस" बतानी होगी।
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