The rapid pace of anti-naxal operations in Chhattisgarh: एक साल में 357 नक्सली मारे गए, खुद नक्सल केंद्रीय कमेटी ने स्वीकारा

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News India Live, Digital Desk: छत्तीसगढ़ राज्य में सुरक्षा बलों द्वारा नक्सलवाद के खिलाफ छेड़ी गई जंग में बड़ी सफलता मिली है। राज्य में पिछले एक साल में चलाए गए भीषण अभियानों में कुल 357 माओवादी मारे गए हैं। यह कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है, बल्कि इस बात को खुद नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी (सेंट्रल कमेटी) ने स्वीकार किया है, जिसने इस दौरान हुए भारी नुकसान का आकलन करते हुए इस भयावह आंकड़े को सार्वजनिक किया है। यह अपने आप में दर्शाता है कि नक्सल विरोधी अभियानों ने कितनी गहराई तक माओवादियों को नुकसान पहुँचाया है।

नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी की ओर से जारी आंतरिक सर्कुलर (पत्र) और समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि 10 जून, 2023 से 10 जून, 2024 के बीच उनके कुल 357 कैडर मारे गए हैं। यह आंकड़ा यह भी बताता है कि यह पिछले चार दशकों में नक्सलियों को हुआ अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है। नक्सली संगठन अपनी 'न्यूज़ शीट' या आंतरिक संवाद के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं और सेंट्रल कमेटी सदस्यों को इस तरह की जानकारी देते रहते हैं।

यह बड़ा नुकसान मुख्य रूप से सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे नए 'ऑपरेशन तांडव' और 'प्रहार' जैसे सख्त अभियानों का परिणाम है। इन ऑपरेशनों में न केवल पुलिस और सीआरपीएफ (CRPF) बल्कि केंद्रीय एजेंसियों और राज्य पुलिस बल की विशेष टीमें भी शामिल हैं। इन बलों ने ड्रोन टेक्नोलॉजी और इंटेलिजेंस पर आधारित सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीतियाँ अपनाई हैं, जिससे नक्सली ठिकानों पर सटीक हमले किए जा रहे हैं और उनके कमांडरों को निष्क्रिय किया जा रहा है। सरकार का 'ऑपरेशन प्रहार' खासकर बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा के उन घनघोर जंगलों में केंद्रित है, जिन्हें नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इन ऑपरेशनों में सुरक्षा बल लगातार जंगलों में घुसकर नक्सली कैंपों को ध्वस्त कर रहे हैं, हथियारों के जखीरे बरामद कर रहे हैं और माओवादी नेताओं को निशाना बना रहे हैं।

हाल ही में, कांकेर मुठभेड़ जैसी कई बड़ी घटनाएं हुई हैं, जहाँ भारी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया गया है। यह सारी सफलता सरकार की 'शून्य नक्सलवाद' की नीति और सुरक्षा बलों के बढ़ते आक्रामक रुख का नतीजा है। अब केंद्रीय कमेटी इस बात पर आत्मचिंतन कर रही है कि आखिर उन्हें इतना बड़ा नुकसान क्यों हुआ। इसका सीधा अर्थ है कि सरकारी रणनीति अब नक्सल समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने में कामयाब हो रही है, और जल्द ही छत्तीसगढ़ को इस बड़ी आंतरिक चुनौती से पूरी तरह मुक्त करने का लक्ष्य पूरा किया जा सकेगा।

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