पाकिस्तान और जापान की आबादी भी पड़ गई कम: नई काशी ने सिर्फ 4 साल में रच दिया इतिहास
उत्तर प्रदेश की बात ही निराली है। यहाँ एक तरफ प्यार की निशानी ताजमहल है, तो दूसरी तरफ अयोध्या का राम मंदिर और मथुरा-वृंदावन की रौनक। लेकिन पिछले चार सालों में जिस जगह ने देश और दुनिया का सबसे ज्यादा ध्यान अपनी ओर खींचा है, वह है बाबा भोलेनाथ की नगरी- काशी (वाराणसी)।
पुराने घाट, शाम की आरती और कचौड़ी-जलेबी की खुशबू तो पहले भी थी, लेकिन 13 दिसंबर 2021 के बाद काशी की जो तस्वीर बदली है, उसने इसे एक 'ग्लोबल टूरिज्म हब' बना दिया है।
26 करोड़ भक्त, 4 साल और एक अटूट आस्था
काशी विश्वनाथ धाम (Corridor) के खुलने के बाद यहां श्रद्धालुओं की संख्या में जो उछाल आया है, वह हैरान करने वाला है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो पिछले चार वर्षों में 26 करोड़ से ज्यादा लोगों ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए हैं।
ज़रा इस आंकड़े की गहराई को समझिए-यह संख्या पाकिस्तान और जापान जैसे देशों की कुल आबादी से भी ज्यादा है। हर साल औसतन 6.5 करोड़ लोग काशी पहुँच रहे हैं। जहाँ पहले लोग भीड़ और संकरी गलियों के डर से घबराते थे, अब वहां खुलापन और दिव्यता है।
अब दर्शन नहीं, 'आसान दर्शन' होते हैं
पहले बनारस की गलियों में खो जाना एक डर भी था और रोमांस भी, लेकिन बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए यह बड़ी मुसीबत थी। काशी विश्वनाथ धाम ने इस मुसीबत को सुविधाओं में बदल दिया है।
- हर मौसम में ख्याल: अब आपको तपती धूप में नंगे पैर नहीं जलने पड़ेंगे, क्योंकि जलन रोकने वाले मैट बिछाए गए हैं। ठंड से बचने के लिए 'जर्मन हैंगर' जैसी आधुनिक व्यवस्था है।
- बुजुर्गों के लिए वरदान: अगर घर के बड़े-बुजुर्ग साथ हैं, तो उनके लिए व्हीलचेयर और गोल्फ कार्ट मौजूद हैं। एक विशेष रूट बनाया गया है ताकि वे बिना धक्का-मुक्की के आराम से दर्शन कर सकें। साथ में ओआरएस (ORS) और मेडिकल सुविधाएं तो हैं ही।
सिर्फ धर्म नहीं, रोजगार का भी केंद्र
धाम के भव्य और विशाल बनने से सिर्फ पुजारियों का ही नहीं, बल्कि पूरे बनारस का फायदा हुआ है। होटल, ऑटो वाले, नाव वाले और बनारसी साड़ी-हस्तशिल्प बेचने वाले-सबकी कमाई में भारी इजाफा हुआ है।
आज की काशी सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं रही, बल्कि यह हमारी संस्कृति और आधुनिकता का एक बेहतरीन संगम बन गई है। अगर आप बदलाव देखना चाहते हैं, तो एक बार 'नई काशी' की सैर जरूर बनती है।
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