पितृ पक्ष का पहला दिन है बेहद खास! 3 शुभ योगों में करें श्राद्ध, पितरों का मिलेगा भरपूर आशीर्वाद
पितृ पक्ष... यानी हमारे पूर्वजों के प्रति हमारी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का महापर्व। यह 14-15 दिनों का समय हमारे पितरों को समर्पित होता है, और माना जाता है कि इन दिनों में किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद हमारे पूरे परिवार पर बना रहता है।
इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025, रविवार को हो रही है। इस दिन प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध किया जाएगा। यह श्राद्ध उन लोगों के लिए होता है, जिनके परिवार के किसी सदस्य का देहांत किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को हुआ हो।
इस साल, पितृ पक्ष का यह पहला ही दिन ज्योतिष के नजरिए से बहुत ही शुभ और शक्तिशाली संयोग लेकर आ रहा है। इस दिन एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरे तीन-तीन शुभ योग एक साथ बन रहे हैं, जो इस दिन किए गए श्राद्ध और तर्पण के पुण्य को कई गुना बढ़ा देंगे।
क्या हैं ये 3 महा-संयोग?
7 सितंबर 2025 को श्राद्ध के पहले दिन ये तीन शुभ योग बन रहे हैं:
- सिद्धि योग: जैसा कि नाम से ही जाहिर है, इस योग में किया गया कोई भी कार्य सिद्ध होता है, यानी सफलतापूर्वक पूरा होता है। पितरों के लिए इस योग में किया गया तर्पण उन तक सीधे पहुंचता है और अक्षय फल प्रदान करता है।
- साध्य योग: यह योग भी ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में कोई भी मंत्र या साधना सीखने से उसमें आसानी से सफलता प्राप्त होती है। पितरों की शांति के लिए किए गए मंत्र जाप और पूजा-पाठ के लिए यह योग बहुत ही उत्तम है।
- शतभिषा नक्षत्र: इस दिन शतभिषा नक्षत्र भी रहेगा, जिसे 'वरुण देव' का नक्षत्र माना जाता है। वरुण देव जल के देवता हैं, और श्राद्ध कर्म में 'जल' द्वारा ही पितरों को तर्पण दिया जाता है। इसलिए, इस नक्षत्र में पितरों को जल अर्पित करने का महत्व और भी बढ़ जाता है।
किस शुभ मुहूर्त में करें तर्पण?
इन शुभ योगों के साथ, श्राद्ध कर्म के लिए दिन के कुछ पहर भी विशेष रूप से फलदायी माने गए हैं।
- कुतुप मुहूर्त: दिन में 11:59 AM से 12:48 PM तक का समय कुतुप मुहूर्त है। यह श्राद्ध के लिए सबसे शुभ मुहूर्तों में से एक माना जाता है।
- रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:48 PM से 01:38 PM तक रौहिण मुहूर्त रहेगा। यह भी तर्पण और पिंडदान के लिए उत्तम है।
- अपराह्न काल: दोपहर 01:38 PM से 04:07 PM तक का समय अपराह्न काल कहलाता है, जिसमें श्राद्ध की पूजा की जा सकती है।
कैसे करें पहले दिन का श्राद्ध?
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूरे घर की सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।
- दोपहर के समय, शुभ मुहूर्त में, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- अपने पितरों का ध्यान करें और हाथ में जल, कुश, तिल और फूल लेकर उन्हें तर्पण दें।
- इसके बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराएं या किसी जरूरतमंद को सीधा (अनाज और दक्षिणा) दान करें।
पितृ पक्ष के पहले ही दिन बन रहे ये दुर्लभ संयोग इस बात का संकेत हैं कि इस बार हमारे पितर हम पर विशेष कृपा बरसाने वाले हैं। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किए गए छोटे से कर्म से भी वे प्रसन्न होकर हमें सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
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