नोबेल प्राइज़ मिला या दिलाया गया? इस महिला की जीत के पीछे जासूसी की कहानी!
जब इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान हुआ, तो पूरी दुनिया हैरान रह गई। यह पुरस्कार वेनेज़ुएला की एक ऐसी विपक्षी नेता, मारिया कोरिना मशादो, को मिला जिनका नाम दूर-दूर तक किसी की लिस्ट में नहीं था। मारिया, जो अपने देश के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सबसे बड़ी और बेखौफ आलोचक हैं, अचानक से दुनिया की सबसे बड़ी शांति दूत बन गईं।
यह जीत इतनी अप्रत्याशित थी कि अब इसके पीछे एक ऐसी कहानी सामने आ रही है, जिसमें शांति से ज़्यादा जासूसी, साज़िश और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की बू आ रही है।
अचानक 'शांति की दूत' कैसे बन गईं मशादो?
यह सवाल हर कोई पूछ रहा है। नोबेल पुरस्कार की दौड़ में दुनिया भर के बड़े-बड़े नाम शामिल थे। लेकिन सबको पीछे छोड़कर यह सम्मान मशादो को दे दिया गया।
अब ख़ुफ़िया गलियारों से जो ख़बरें छनकर आ रही हैं, वे किसी जासूसी फ़िल्म की कहानी से कम नहीं हैं। कहा जा रहा है कि इस पुरस्कार के पीछे दुनिया की कुछ सबसे ताक़तवर ख़ुफ़िया एजेंसियों, जैसे अमेरिका की CIA और इज़राइल की मोसाद, का हाथ हो सकता है।
तो क्या यह सिर्फ़ एक पुरस्कार है, या एक बहुत बड़ी राजनीतिक चाल?
जानकारों का मानना है कि यह महज़ एक पुरस्कार नहीं, बल्कि वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति मादुरो को घेरने के लिए चली गई एक बहुत बड़ी कूटनीतिक चाल है।
- मादुरो पर अंतरराष्ट्रीय दबाव: मादुरो, जिनकी सरकार पर तानाशाही और मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगते रहे हैं, पश्चिमी देशों की नज़रों में हमेशा से रहे हैं। अपने सबसे बड़े दुश्मन को नोबेल शांति पुरस्कार देकर, मादुरो को दुनिया भर में 'खलनायक' और मचाडो को 'नायक' के रूप में चित्रित किया गया है।
- मशादो को 'सुरक्षा कवच': नोबेल पुरस्कार विजेता बनने के बाद, मारिया मशादो अब सिर्फ़ एक विपक्षी नेता नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय हस्ती बन गई हैं। अब अगर मादुरो की सरकार उन्हें गिरफ़्तार करने या नुकसान पहुँचाने की कोशिश करती है, तो यह पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचेगा। यह पुरस्कार उनके लिए एक 'सुरक्षा कवच' की तरह काम करेगा।
- आने वाले चुनाव पर असर: वेनेज़ुएला में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। ऐसे समय में मशादो को यह सम्मान मिलना विपक्ष को एक नई ताक़त और वैधता देगा, और मादुरो पर निष्पक्ष चुनाव कराने का दबाव और भी ज़्यादा बढ़ जाएगा।
यह घटना दिखाती है कि नोबेल शांति पुरस्कार जैसे सम्मान भी कई बार सिर्फ़ शांति के लिए नहीं, बल्कि दुनिया की बड़ी ताक़तों के बीच चल रहे शतरंज के खेल में एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं। तो क्या यह शांति के लिए दिया गया सम्मान है, या फिर वेनेज़ुएला में सत्ता परिवर्तन की एक बहुत बड़ी साज़िश की पहली कड़ी? इसका जवाब तो वक़्त ही बताएगा।
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