एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का अंजाम गरुड़ पुराण में लिखी है ऐसी सजा, जिसे सुनकर ही रूह कांप जाए

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News India Live, Digital Desk : आज के आधुनिक दौर में 'रिलेशनशिप' और 'ब्रेकअप' जैसे शब्द बहुत आम हो गए हैं। कई बार हम सुनते हैं कि किसी ने शादी के बाद भी बाहर संबंध बनाए (Extra-Marital Affair) या अपने पार्टनर को धोखा दिया। लोग अक्सर सोचते हैं कि "किसको पता चलेगा" या "आज के जमाने में यह सब चलता है।" लेकिन, अगर हम सनातन धर्म के सबसे रहस्यमयी ग्रंथ Garuda Purana की बात करें, तो वहां इसके लिए जो लिखा है, वह वाकई डराने वाला है।

गरुड़ पुराण हिंदू धर्म का वह ग्रंथ है जो इंसान के मरने के बाद की यात्रा और कर्मों के हिसाब-किताब के बारे में बताता है। इसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि विश्वासघात, खास तौर पर जीवनसाथी के साथ धोखा, एक 'महापाप' है।

शादी: सिर्फ समझौता नहीं, एक पवित्र बंधन

शास्त्रों में विवाह को सात जन्मों का बंधन और एक पवित्र संस्कार माना गया है। अग्नि के फेरे लेते वक्त पति और पत्नी एक-दूसरे के प्रति वफादार रहने की कसम खाते हैं। गरुड़ पुराण कहता है कि जब कोई व्यक्ति—चाहे वो स्त्री हो या पुरुष—इस कसम को तोड़ता है और अपनी मर्यादा लांघकर पर-पुरुष या पर-स्त्री के साथ संबंध बनाता है, तो वह सीधे तौर पर अपनी आत्मा को कलंकित कर रहा होता है।

नर्क में क्या है सजा? (Punishment in Hell)

अब बात करते हैं उस सजा की, जिसका जिक्र सुनकर पसीने छूट जाते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, ऐसे लोगों के लिए नर्क में विशेष इंतजाम हैं।
कहा गया है कि जो पुरुष अपनी पत्नी को धोखा देकर परायी स्त्री के मोह में फंसता है, मृत्यु के बाद यमलोक में उसे "तपते हुए लोहे की स्त्री" की मूर्ति से आलिंगन कराया जाता है (गले लगवाया जाता है)।
ठीक वैसे ही, जो स्त्री अपने पति को धोखा देती है और मर्यादा तोड़ती है, उसे "दहकते हुए लोहे के पुरुष" की प्रतिमा को गले लगाना पड़ता है।

यह वर्णन सांकेतिक भी है और डरावना भी। इसका अर्थ यह है कि जिस शरीर के सुख के लिए आपने रिश्तों का कत्ल किया, वही शरीर मृत्यु के बाद आपके लिए सबसे बड़ी पीड़ा का कारण बन जाएगा। इसे 'लोहशंकु' नामक नर्क की यातनाओं से भी जोड़ा जाता है।

कर्म कभी पीछा नहीं छोड़ता

अक्सर इंसान सोचता है कि उसने सब कुछ छिपा लिया है। लेकिन गरुड़ पुराण की सीख यही है कि आपकी आँखें बंद कर लेने से सच छिप नहीं जाता। धोखा देने वाला व्यक्ति इस जन्म में भले ही सुखी दिखे, लेकिन उसका 'चित्त' (मन) हमेशा अशांत रहता है और मरने के बाद का सफर तो कष्टदायक होता ही है।

कुल मिलाकर, यह डराने की बात नहीं, बल्कि समझने की बात है। वफादारी सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह रिश्तों की वो नींव है जिसे तोड़ने का मतलब है अपनी ही आध्यात्मिक जड़ों को काट देना।

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