Mbbs Dream : सीट नहीं मिली वाली शिकायत होगी ख़त्म? केंद्र सरकार के इस जवाब ने छात्रों के चेहरे पर ला दी मुस्कान

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News India Live, Digital Desk :  हमारे देश में डॉक्टर (Doctor) को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन डॉक्टर बनने की राह उतनी ही मुश्किल होती है। सबसे बड़ी वजह? मेडिकल कॉलेजों और एमबीबीएस सीटों (MBBS Seats) की भारी कमी। एक-एक सीट के लिए लाखों बच्चों में 'करो या मरो' वाली लड़ाई होती है।

लेकिन, आज एक ऐसी खबर आई है जो मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों (NEET Aspirants) और उनके पेरेंट्स को बड़ी राहत देगी। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा (Rajya Sabha) में सरकार ने एक ऐसा आंकड़ा पेश किया है, जो बताता है कि देश में मेडिकल शिक्षा की तस्वीर कितनी तेजी से बदल रही है।

आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि सरकार ने क्या जानकारी दी है और इसका छात्रों पर क्या असर पड़ेगा।

क्या है 'बड़ी खबर'?

मंगलवार को संसद में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री (Anupriya Patel) ने एक लिखित जवाब में बताया कि पिछले महज दो सालों में भारत में 118 नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं।

जी हाँ, 118 कॉलेज! यह कोई छोटा आंकड़ा नहीं है। यह इशारा है कि सरकार अब स्वास्थ्य सुविधाओं को बड़े शहरों से निकालकर छोटे जिलों तक ले जा रही है। इसका सीधा मतलब है—ज्यादा कॉलेज मतलब ज्यादा सीटें और ज्यादा सीटें मतलब हमारे बच्चों के लिए डॉक्टर बनने के ज्यादा मौके।

यूपी बना 'नंबर वन', बाकी राज्यों का क्या हाल?

इस लिस्ट में सबसे ज्यादा चौकाने वाला और खुश करने वाला नाम उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का है। आबादी में सबसे बड़ा राज्य होने के नाते वहां डॉक्टरों की ज़रूरत भी सबसे ज्यादा है।

  • उत्तर प्रदेश (Topper): अकेले यूपी में पिछले दो सालों में 21 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं। योगी सरकार के 'एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज' मिशन का असर अब आंकड़ों में साफ दिख रहा है।
  • तेलंगाना (दूसरे नंबर पर): दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना ने भी बाजी मारी है। वहां 17 नए कॉलेज खुले हैं।
  • राजस्थान (तीसरा नंबर): रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में 9 नए मेडिकल कॉलेज शुरू हुए हैं, जिससे वहां के छात्रों को अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
  • अन्य राज्य: महाराष्ट्र में 14 और मध्य प्रदेश में भी कई नए कॉलेज खुले हैं। (महाराष्ट्र और एमपी के आंकड़े भी इस मिशन का हिस्सा हैं)।

यह चमत्कार हुआ कैसे?

अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक इतने कॉलेज कैसे खुल गए? दरअसल, केंद्र सरकार एक विशेष स्कीम चला रही है। इसके तहत जिन जिलों में पहले से बड़े सरकारी अस्पताल (District Hospitals) थे, उन्हें अपग्रेड करके 'मेडिकल कॉलेज' में बदला जा रहा है।

इससे दो फायदे हो रहे हैं:

  1. अस्पताल बड़ा हो जाता है, तो मरीजों को बेहतर इलाज मिलता है।
  2. वहीं पर मेडिकल की पढ़ाई शुरू हो जाती है, तो छात्रों को नया कैंपस मिल जाता है।

सरकार ने अब तक तीन चरणों में 157 नए कॉलेजों को मंजूरी दी है, जिनमें से 108 तो काम भी करने लगे हैं।

इसका छात्रों (NEET Students) पर क्या असर होगा?

यह खबर 'नीट' की तैयारी कर रहे लाखों बच्चों के लिए किसी ऑक्सीजन से कम नहीं है।

  • कट-ऑफ का खेल: जब सीटें बढ़ेंगी, तो जाहिर है कि सरकारी कॉलेज मिलने की संभावना (Probability) भी बढ़ जाएगी।
  • कम फीस में पढ़ाई: सरकारी मेडिकल कॉलेज बढ़ने का मतलब है कि अब ज्यादा मिडिल क्लास परिवार अपने बच्चों को डॉक्टर बनाने का सपना पूरा कर पाएंगे, वो भी प्राइवेट कॉलेजों की भारी-भरकम फीस चुकाए बिना।

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