भारत सरकार का बड़ा एलान, इनकम टैक्स बिल 2025 हुआ रद्द, अब आएगा 50% सरल नया टैक्स कानून! जानिए कब और कैसे?

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नई दिल्ली: देश के करदाताओं के लिए एक बड़ी और ऐतिहासिक खबर सामने आई है। केंद्रीय सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया इनकम टैक्स बिल 2025 को वापस ले लिया है। इस कदम के साथ, सरकार अब इसकी जगह एक बिल्कुल नया और सरलीकृत आयकर विधेयक पेश करने की तैयारी में है। यह नया विधेयक 11 अगस्त 2025 को सदन में प्रस्तुत किया जाएगा।

यह निर्णय भारतीय कर प्रणाली को सुव्यवस्थित और आम आदमी के लिए सुगम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का लक्ष्य पुराने, जटिल आयकर अधिनियम 1961 को प्रतिस्थापित करना है, जो पिछले छह दशकों से लागू है और जिसमें समय के साथ 4000 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं।

क्या होगा नया? 50% सरल होगा आपका टैक्स!

प्रस्तावित नए आयकर कानून का मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को लगभग 50% तक सरल बनाना है। इस बदलाव से छोटे व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं, एमएसएमई (MSMEs) और आम करदाताओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जिनके लिए मौजूदा आयकर कानून की जटिलताओं को समझना अक्सर एक चुनौती साबित होता है।

सूत्रों के अनुसार, इस नए विधेयक में भाजपा सांसद बजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति की अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया जाएगा। इस समिति ने मौजूदा आयकर अधिनियम की पेचीदगियों को दूर करने और एक ऐसा ढांचा तैयार करने पर जोर दिया था, जो आधुनिक कारोबारी माहौल और सामान्य नागरिकों की जरूरतों के अनुरूप हो।

टैक्स स्लैब और दरों में कोई बदलाव नहीं!

कई करदाताओं के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि क्या इस नए कानून से टैक्स स्लैब (Tax Slab) या कर दरों (Tax Rates) में कोई बदलाव किया जाएगा। सरकार ने इस संबंध में स्पष्ट कर दिया है कि नए विधेयक में वर्तमान कर दरों या स्लैब में कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा। फोकस पूरी तरह से कर कानूनों को सरल बनाने, प्रक्रियाओं को आसान बनाने और करदाताओं के लिए अनुपालन (Compliance) को सुगम बनाने पर रहेगा।

क्यों उठाया गया यह कदम? दशकों पुरानी जटिलताओं से मुक्ति!

सरकार ने पुराने बिल को वापस लेने के पीछे यह मुख्य कारण बताया है कि आयकर अधिनियम 1961 में इतने सारे संशोधनों के बाद यह आम आदमी के लिए समझना बेहद मुश्किल हो गया था। इसकी शब्द संख्या भी 5 लाख से अधिक है, और हजारों छोटे-बड़े बदलाव इसमें शामिल हैं। इस जटिलता को दूर करने, अनावश्यक कानूनी पचड़ों को समाप्त करने और एक ऐसी कर प्रणाली बनाने की तत्काल आवश्यकता थी, जो सभी के लिए पारदर्शी और सुलभ हो।

नए विधेयक से किसे होगा सीधा फायदा?

छोटे व्यापारी और व्यवसायी: सरलीकृत नियमों से उन्हें अपने व्यवसाय के कराधान को समझना और उसका पालन करना आसान होगा।

आम करदाता (Common Taxpayers): टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया, कटौती (Deductions) और नियमों को समझने में आसानी होगी, जिससे गलतियों की संभावना कम होगी।

एमएसएमई (MSMEs): यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और कर नियमों को सरल बनाने से उनके विकास को बल मिलेगा।

यह कदम न केवल व्यापार में आसानी (Ease of Doing Business) को बढ़ावा देगा, बल्कि देश में कर अनुपालन संस्कृति को भी मजबूत करेगा। सरकार का यह प्रयास वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए करदाताओं के लिए एक नया और अधिक सकारात्मक अनुभव प्रदान करेगा।

आगे क्या?

13 फरवरी को पेश किए गए बिल के वापस लेने के बाद, सरकार अब 11 अगस्त को अपने संशोधित प्रस्ताव के साथ संसद में आएगी। उम्मीद है कि यह नया, सरलीकृत आयकर कानून जल्द ही लागू होगा और देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।

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