बेगूसराय की वो चीख और बांका के जंगल का सन्नाटा क्या वाकई बिहार में अपराधी बेलगाम हो चुके हैं?

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News India Live, Digital Desk : बिहार के दो अलग-अलग जिलों से आज ऐसी खबरें सामने आई हैं, जिन्होंने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आम आदमी के मन में एक अनजाना डर पैदा कर दिया है। बात सिर्फ क्राइम ग्राफ की नहीं है, बल्कि उस क्रूरता की है जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं। बेगूसराय और बांका, दो ऐसे जिले जहाँ की शांति को गोलियों और चाकू की धार ने चीर दिया है।

बेगूसराय: जहाँ बेरहमी की सारी हदें टूट गईं
सबसे पहली घटना बेगूसराय की है, जहाँ एक युवक के साथ ऐसी हैवानियत की गई जिसे बयान करना भी मुश्किल है। बीच बस्ती में एक उभरते हुए युवक का गला रेतकर उसकी हत्या कर दी गई। जिस समय घर में खुशी का माहौल होना चाहिए था, वहां अब सिर्फ़ चीखें सुनाई दे रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अपराधी इतने बेखौफ थे कि उन्हें पुलिस या कानून का कोई डर ही नहीं था।

जैसे ही ये खबर फैली, पूरे इलाके में सन्नाटा पसर गया है। पुलिस मौके पर पहुँच कर जांच तो कर रही है, लेकिन गाँव वालों के मन से वो डर निकालना अब मुश्किल है जो इस वारदात ने बिठा दिया है।

बांका के घने जंगलों में छिपी मौत
अभी बेगूसराय की खबर से लोग उबर भी नहीं पाए थे कि बांका से भी एक दिल दहला देने वाली सूचना मिली। यहाँ के एक सुनसान जंगल में एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। शव की स्थिति को देखकर अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि यह हत्या कहीं और की गई और फिर साक्ष्य छुपाने के लिए उसे जंगल में फेंक दिया गया।

बांका का यह जंगली इलाका शाम होते ही खौफनाक हो जाता है, और अब इस हत्या के बाद आस-पास के गाँवों के लोग जंगल की तरफ जाने से भी कतरा रहे हैं। आखिर वो कौन लोग थे जिन्हें सरेआम कानून को चुनौती देना इतना आसान लगा?

इंसाफ का इंतज़ार और सुलगते सवाल
ये सिर्फ़ दो हत्याएं नहीं हैं, ये उन दो परिवारों की बर्बादी की दास्तां है जिन्होंने अपना कमाने वाला सदस्य खो दिया है। सवाल ये उठता है कि आख़िर बिहार के अपराधी इतने बेखौफ क्यों होते जा रहे हैं? क्या सड़कों पर पुलिस की गश्ती स़िर्फ कागजों तक सीमित है?

स्थानीय प्रशासन हर बार की तरह 'उचित कार्रवाई' का आश्वासन तो दे रहा है, लेकिन मृतक के परिजनों के आंसू इन आश्वासनों से सूखने वाले नहीं हैं। बेगूसराय और बांका की ये घटनाएं चीख-चीख कर कह रही हैं कि अपराधियों के मन में पुलिस का इक़बाल ख़त्म हो रहा है।

जरुरत स़िर्फ गिरफ्तारी की नहीं है, बल्कि एक ऐसी मिसाल कायम करने की है जिससे आने वाले वक्त में किसी और के गले पर चाकू फेरने से पहले या किसी को जंगल में फेंकने से पहले अपराधी की रूह कांप जाए। फिलहाल, पूरे बिहार की निगाहें अब पुलिस की कार्रवाई पर टिकी हैं।

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