Swachh Bharat Mission : जैसी करनी, वैसी भरनी बेंगलुरु में सड़क पर कचरा फेंका तो अब घर पर मिलेगा रिटर्न गिफ्ट

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News India Live, Digital Desk : रात के अँधेरे में या सुबह जल्दी-जल्दी, सड़क के किनारे कूड़े का एक पैकेट फेंककर निकल जाना... हम में से बहुत से लोग या तो खुद ऐसा करते हैं या दूसरों को करते हुए देखते हैं। हम सोचते हैं कि किसी ने नहीं देखा, लेकिन अब सावधान हो जाइए! अगर आप 'भारत की सिलिकॉन वैली' यानी बेंगलुरु में हैं, तो हो सकता है कि अगले दिन दूध वाले से पहले नगर निगम की गाड़ी आपका ही फेंका हुआ कचरा 'तोहफे' के रूप में लेकर आपके दरवाजे पर खड़ी हो।

जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना! शहर में गंदगी और अवैध रूप से कचरा फेंकने की समस्या से तंग आकर बृहद बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) ने एक ऐसा नायाब और सख्त कदम उठाया है, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। इस अनोखी पहल का नाम है 'रिटर्न गिफ्ट'।

क्या है यह 'रिटर्न गिफ्ट' पहल?

इस पहल के तहत, BBMP की टीमें उन लोगों की पहचान कर रही हैं जो रात के अंधेरे में या दिन के उजाले में अपनी गाड़ियों से सड़कों, खाली प्लॉट्स या झीलों के किनारे कचरा फेंक कर भाग जाते हैं।

तो यह पूरा सिस्टम काम कैसे करता है?

  • 'ब्लैक स्पॉट्स' की पहचान: सबसे पहले उन जगहों को चिन्हित किया जाता है, जहां सबसे ज्यादा कचरा फेंका जाता है।
  • CCTV और मार्शलों की तैनाती: इन 'ब्लैक स्पॉट्स' पर अब हाई-रेजोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और मार्शल तैनात किए गए हैं, जो 24 घंटे निगरानी करते हैं।
  • अपराधी की धरपकड़: जैसे ही कोई व्यक्ति कचरा फेंकता हुआ पकड़ा जाता है, उसकी गाड़ी का नंबर नोट कर लिया जाता है या उसकी तस्वीर ले ली जाती है।
  • 'तोहफे' की पैकिंग: इसके बाद, BBMP के कर्मचारी उस फेंके हुए कचरे को बड़े ही 'प्यार' से एक पैकेट में पैक करते हैं।
  • घर पर 'स्पेशल डिलीवरी': फिर RTO (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) की मदद से गाड़ी के नंबर से मालिक का पता निकाला जाता है और अगले ही दिन यह 'रिटर्न गिफ्ट' सीधे उसके घर पहुंचा दिया जाता है।

सिर्फ तोहफा नहीं, जुर्माना भी!

यह 'तोहफा' अकेले नहीं आता। इसके साथ आता है गंदगी फैलाने के लिए लगाया गया भारी-भरकम जुर्माना और भविष्य में ऐसा न करने की एक सख्त चेतावनी।

क्यों पड़ी इस सख्त कदम की जरूरत?

BBMP के अधिकारियों का कहना है कि वे सालों से लोगों से अपील करते-करते थक गए थे। लोग न तो गीला-सूखा कचरा अलग करते हैं और न ही घर-घर कचरा उठाने वाली गाड़ी को कचरा देते हैं। इसकी बजाय वे आसान रास्ता अपनाते हैं और शहर को गंदा करते हैं। बार-बार जुर्माना लगाने के बाद भी जब आदत नहीं सुधरी, तो यह मनोवैज्ञानिक तरीका अपनाना पड़ा।

इसका मकसद सिर्फ जुर्माना वसूलना नहीं, बल्कि लोगों को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी का एहसास कराना है, ताकि वे दोबारा ऐसी गलती करने से पहले सौ बार सोचें।

यह अनोखी पहल हम सभी के लिए एक सबक है। साफ-सफाई सिर्फ सरकार या नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। क्या पता, बेंगलुरु से शुरू हुई यह 'रिटर्न गिफ्ट' की हवा कल आपके शहर तक भी पहुंच जाए

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