Success Story : गांव की इस बेटी ने बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में पास की NEET, कहानी आपकी सोच बदल देगी

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News India Live, Digital Desk: अगर लगन सच्ची हो, तो कोई भी मुश्किल आपको रोक नहीं सकती।" यह बात सिर्फ़ कहने-सुनने में अच्छी नहीं लगती, बल्कि कुछ लोग इसे सच कर दिखाते हैं। ऐसी ही एक मिसाल हैं पश्चिम बंगाल के एक छोटे से आदिवासी गाँव की बेटी, जेमिना नरजिनारी।

आज जहाँ मेडिकल की तैयारी के लिए बच्चे लाखों रुपये की कोचिंग पर खर्च करते हैं, बड़े-बड़े शहरों का रुख करते हैं, वहीं जेमिना ने यह साबित कर दिया है कि सफ़लता संसाधनों की मोहताज नहीं होती। उन्होंने बिना किसी कोचिंग के, सिर्फ़ अपनी मेहनत और लगन के दम पर, पहले ही प्रयास में NEET जैसी कठिन परीक्षा पास कर ली।

कौन हैं जेमिना नरजिनारी?

जेमिना पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार जिले के एक दूर-दराज के गाँव, बंचुकमारी की रहने वाली हैं। यह एक ऐसा इलाक़ा है जहाँ आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। उनके पिता एक किसान हैं और माँ गृहिणी हैं। एक साधारण किसान परिवार से आने के बावजूद, जेमिना के सपने बड़े थे। उन्होंने बचपन से ही डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करने का सपना देखा था।

चुनौतियों भरा था सफ़र

जेमिना के लिए यह सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं था। उनके गाँव में अच्छी शिक्षा का कोई ज़रिया नहीं था। 12वीं की पढ़ाई के लिए भी उन्हें रोज़ाना कई किलोमीटर का सफ़र तय करना पड़ता था। सबसे बड़ी चुनौती थी NEET की तैयारी के लिए सही मार्गदर्शन और संसाधनों की कमी। बड़े शहर जाकर महंगी कोचिंग लेना उनके परिवार के लिए संभव नहीं था।

कैसे की बिना कोचिंग के तैयारी?

जेमिना ने हार नहीं मानी। उन्होंने सेल्फ-स्टडी का रास्ता चुना।

  • इंटरनेट बना सहारा: उन्होंने इंटरनेट और YouTube को अपना सबसे बड़ा शिक्षक बनाया। वे ऑनलाइन मौजूद फ़्री स्टडी मटीरियल और लेक्चर्स से पढ़ाई करती थीं।
  • किताबों से की दोस्ती: NCERT की किताबों को उन्होंने अपना आधार बनाया और उन्हें बार-बार पढ़ा।
  • खुद पर विश्वास: सबसे ज़रूरी बात, उन्होंने खुद पर और अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा रखा। जब भी वे निराश होतीं, तो अपने डॉक्टर बनने के सपने को याद करके दोगुनी मेहनत से जुट जातीं।

उनकी इसी लगन का नतीजा है कि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में NEET की परीक्षा पास करके न सिर्फ़ अपने परिवार, बल्कि पूरे गाँव का नाम रोशन किया है।

जेमिना नरजिनारी की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो साधनों की कमी के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं। यह कहानी सिखाती है कि अगर आपके इरादे पक्के हैं, तो आप बिना किसी बाहरी सहारे के भी अपनी मंज़िल पा सकते हैं।

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