Shweta Tiwari की बेटी Palak के लिए खास पेरेंटिंग रूल्स: टाइमिंग, फाइनेंशियल डिसिप्लिन, नो मेकअप और ट्रैकिंग—क्या अलग है उनकी परवरिश?
टीवी की मशहूर एक्ट्रेस श्वेता तिवारी ने हाल ही में अपनी बेटी पलक तिवारी के साथ अपने पेरेंटिंग एक्सपीरियंस शेयर किए। श्वेता बताती हैं कि पलक के साथ उनका रिश्ता ज्यादा दोस्ताना है, लेकिन कुछ बाउंड्रीज हमेशा रही हैं—खासतौर पर समय की पाबंदी और जिम्मेदारी को लेकर।
श्वेता तिवारी के पेरेंटिंग रूल्स
कर्फ्यू और टाइमिंग:
पलक को कभी भी देर रात घर आने की छूट नहीं थी। अगर उसने 1 बजे घर लौटने का वादा किया, तो पार्टी से उसी वक्त निकलना जरूरी नहीं, 1 बजे घर पर होना जरूरी था।
फोन ट्रैकिंग:
टीनएज के दौरान श्वेता अपनी बेटी का फोन ट्रैक करती थीं क्योंकि एक मां होने के नाते उन्हें सुरक्षा की चिंता रहती थी।
मेकअप बैन:
पलक को 16 साल की उम्र से पहले मेकअप की इजाजत नहीं थी। स्कूल फंक्शन्स तक में बिना मेकअप ही जाना होता था।
पहला फोन कॉलेज में:
कॉलेज में आने के बाद ही पलक को अपना पहला मोबाइल मिला।
फाइनेंशियल रिस्पॉन्सिबिलिटी:
पलक को लिमिटेड मंथली बजट (जैसे ₹25,000) दिया जाता था। अगर उसमें ओवरस्पेंड किया, तो घरेलू कामों से उसकी भरपाई करनी होती थी—बाथरूम साफ करना (₹1,000), बिस्तर ठीक करना (₹500), बर्तन धोना (₹1,000) जैसे कई छोटे-बड़े काम। पलक अकसर खर्च के हिसाब से काम पहले ही कर लेती थी!
करियर और परवरिश का मेल
श्वेता तिवारी खुद भी अपनी जिम्मेदारियों और अनुशासन के लिए जानी जाती हैं। ‘कसौटी ज़िंदगी की’ से लेकर ‘बिग बॉस 4’ की विनर बनने तक उन्होंने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में बैलेंस और स्ट्रिक्टनेस को अपनाया। पलक को भी उन्होंने यही सीख दी कि आज़ादी के साथ जिम्मेदारी भी ज़रूरी है।
क्यों है ये पेरेंटिंग स्टाइल खास?
पलक जैसी युवा सेलेब्रिटी के लिए भी सीमाएं और जिम्मेदारी—मोतीवेशनल उदाहरण।
बच्चों की सुरक्षा, फाइनेंशियल एडुकेशन और लाइफ स्किल्स—तीनों का संतुलन।
आधुनिक समय में संस्कार और मॉर्डन सोच का यूनीक मिश्रण।
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