Shivraj Patil Passes Away : वो गृह मंत्री जिन्होंने 26/11 के बाद मांगी थी माफी और दे दिया था इस्तीफा, आज दुनिया को कहा अलविदा।
News India Live, Digital Desk: भारतीय राजनीति के लिए आज का दिन वाकई एक बड़ी क्षति लेकर आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व गृह मंत्री Shivraj Patil अब हमारे बीच नहीं रहे। खबर आ रही है कि लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया है। वो करीब 89-90 साल के थे। उनके जाने से न सिर्फ कांग्रेस ने अपना एक पुराना सिपाही खोया है, बल्कि देश ने एक ऐसे नेता को अलविदा कह दिया है जिसने लोकसभा स्पीकर से लेकर गृह मंत्री तक का सफर तय किया।
सादगी और अनुशासन की मिसाल थे शिवराज
अगर आप पुराने दौर की राजनीति पर नज़र डालें, तो शिवराज पाटिल की छवि हमेशा एक बेहद सौम्य और पढ़े-लिखे नेता की रही है। Shivraj Patil Political Career काफी लंबा और उतार-चढ़ाव वाला रहा। उन्हें राजनीति का ‘जेंटलमैन’ कहा जाता था। चाहे कपड़े पहनने का सलीका हो या संसद में बोलने का अंदाज, वो हमेशा अलग नजर आते थे। उन्होंने महाराष्ट्र के लातूर (Latur) में आखिरी सांस ली। बताया जा रहा है कि वो पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे।
लोकसभा स्पीकर के तौर पर बनाया था अपना नाम
आज की जनरेशन शायद उन्हें 2004 से 2008 के बीच देश के Union Home Minister (गृह मंत्री) के रूप में जानती है, लेकिन उनका असली योगदान संसद को चलाने में रहा है। वो 1991 से 1996 तक लोकसभा के स्पीकर रहे थे। उस दौर में संसद के अंदर अनुशासन बनाए रखने के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है। एक अच्छे स्पीकर की तरह उन्होंने हमेशा नियमों का पालन किया और कराया।
26/11 मुंबई हमले के बाद लिया था बड़ा फैसला
शिवराज पाटिल की जिंदगी का सबसे चर्चित और भावुक दौर 2008 का रहा। जब मुंबई पर 26/11 का आतंकी हमला (26/11 Mumbai Terror Attacks) हुआ, तब शिवराज पाटिल ही देश के गृह मंत्री थे। उस वक्त देश गुस्से में था। ऐसे में उन्होंने जो किया, वो आज की राजनीति में कम ही देखने को मिलता है। हमलों के बाद उठी नैतिक जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। Shivraj Patil Resignation उस समय काफी सुर्खियों में रहा था, क्योंकि उन्होंने बिना किसी हो-हल्ले के अपनी कुर्सी छोड़ दी थी।
राजनीति का एक अध्याय समाप्त
लातूर से निकलकर दिल्ली के सत्ता के गलियारों तक पहुँचने वाले शिवराज पाटिल का सफर आसान नहीं था। इंदिरा गांधी के दौर से लेकर मनमोहन सिंह की सरकार तक, उन्होंने हर पड़ाव देखा। वे पंजाब के गवर्नर भी रहे और राजस्थान का कार्यभार भी संभाला। उनके जाने के बाद प्रधानमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेताओं ने शोक जताया है। यह सिर्फ एक नेता का जाना नहीं है, बल्कि पुराने स्कूल की उस राजनीति का अंत है, जहां मर्यादा और पद की गरिमा सबसे ऊपर होती थी।
देश उन्हें उनके ‘सूट-बूट’ वाली साफ-सुथरी छवि और शांत स्वभाव के लिए हमेशा याद रखेगा।
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