तमिलनाडु में फिर गरमाया माहौल क्या है हिंदू मुन्नानी, जिसके नाम पर छिड़ गई है दरगाह और मंदिर की नई बहस?

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News India Live, Digital Desk : इन दिनों तमिलनाडु की ख़बरें सिर्फ़ राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि धार्मिक गलियारों से भी बहुत शोर आ रहा है। एक नाम जो बार-बार अखबारों और टीवी पर उछल रहा है, वो है 'हिंदू मुन्नानी' (Hindu Munnani)

हाल ही में, एक मंदिर के दीपम (दीये) और दरगाह को लेकर जो विवाद हुआ है, उसने लोगों का ध्यान इस संगठन की तरफ खींचा है। उत्तर भारत में बहुत से लोग शायद इस नाम से अनजान हों, लेकिन दक्षिण की राजनीति और धर्म में यह एक बहुत बड़ा और प्रभावी नाम है।

आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि यह 'हिंदू मुन्नानी' आखिर क्या है, इनका RSS से क्या रिश्ता है और मौजूदा बवाल की असली जड़ क्या है।

क्या है यह 'दरगाह बनाम दीपम' विवाद?

ताज़ा मामला एक धार्मिक रस्म को लेकर अटका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विवाद तब खड़ा हुआ जब मंदिर के त्योहार के दौरान पवित्र 'महादीपम' या मशाल को ले जाने की बात आई। विवाद का केंद्र यह था कि क्या हिंदू रस्मों को निभाते हुए एक स्थानीय दरगाह के पास से गुजरा जा सकता है या वहां कुछ धार्मिक क्रियाएं की जा सकती हैं?
हिंदू मुन्नानी का कहना है कि यह परंपरा का हिस्सा है, जबकि दूसरे पक्ष और प्रशासन को कानून-व्यवस्था बिगड़ने का डर है। इसी खींचतान में पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा है।

'हिंदू मुन्नानी' संगठन की कुंडली

अगर आप सोच रहे हैं कि यह कोई नया ग्रुप है, तो आप गलत हैं।

  • मतलब: तमिल भाषा में 'मुन्नानी' का मतलब होता है 'मोर्चा' या 'फ्रंट' (Front/Vanguard)। यानी हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाला सबसे अगला मोर्चा।
  • शुरुआत: इसकी नींव 1980 में रखी गई थी। उस समय रामगोपालन (Ramagopalan) जी ने इसकी स्थापना की थी।
  • क्यों बना?: 1980 के दशक में तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में एक साथ सैकड़ों दलितों ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। इस घटना ने संघ (RSS) और हिंदू नेताओं को हिलाकर रख दिया था। इसी के जवाब में, धर्मांतरण रोकने और हिंदू मंदिरों को एकजुट करने के लिए 'हिंदू मुन्नानी' का जन्म हुआ।

RSS से क्या है कनेक्शन?

सीधे शब्दों में कहें तो, हिंदू मुन्नानी को आप तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक वैचारिक 'हाथ' मान सकते हैं।
आरएसएस का एजेंडा और कार्यशैली उत्तर भारत में बहुत मजबूत थी, लेकिन तमिलनाडु में भाषाई और सांस्कृतिक अंतर की वजह से उन्हें वहां पैठ बनाने में दिक्कत हो रही थी। हिंदू मुन्नानी ने आरएसएस की विचारधारा को तमिल संस्कृति और स्थानीय मुद्दों (जैसे विनायक चतुर्थी यानी गणेश उत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाना) के साथ जोड़कर पेश किया।

आज यह संगठन तमिलनाडु में मंदिरों के प्रशासन, अतिक्रमण और धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सबसे ज्यादा मुखर रहता है।

अब आगे क्या?

फिलहाल दरगाह और दीपम विवाद को लेकर प्रशासन सख्त है। पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी है ताकि शांति बनी रहे। लेकिन हिंदू मुन्नानी के कार्यकर्ता अपनी मांग पर अड़े हैं। यह घटना बताती है कि दक्षिण भारत में धार्मिक और सामाजिक समीकरण कितनी तेजी से बदल रहे हैं।

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